सोशल मीडिया पर मचे हंगामे के बाद केंद्र सरकार ने नई इनक्रिप्शन पॉलिसी के ड्राफ्ट को वापस लेने का फैसला किया है। यह जानकारी सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार सोशल मीडिया की आजादी की समर्थक है। यह एक ड्राफ्ट कॉपी थी और इस ड्राफ्ट को वापस लेने के आदेश दे दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट इनक्रिप्शन पॉलिसी कहीं से भी सरकार की विचारधारा को नहीं दर्शाता।
आपको बता दें कि विवाद की शुरुआत नई नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी को सार्वजनिक करने के बाद हुई। ड्राफ्ट की शुरुआती कॉपी से यह बात सामने आ रही थी कि अगर इस नीति को मंजूरी मिल जाती है तो आने वाले दिनों में फोन पर व्हाट्सऐप या फिर अन्य कम्यूनिकेशन सर्विस इस्तेमाल करने के तरीके में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। ड्राफ्ट कॉपी के मुताबिक, यूज़र और कंपनियों के लिए सभी मैसेज स्टोर करना अनिवार्य होने वाला था। मामला तूल पकड़ने के चंद घंटों के अंदर ही सोमवार को सरकार ने नई इनक्रिप्शन पॉलिसी के प्रस्ताव पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने कहा कि ड्राफ्ट पॉलिसी के तहत सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप्स जैसे मैसेजिंग सर्विस नहीं आएंगे।
यह था ड्राफ्ट मेंकेंद्र सरकार ने जिस नई नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी पर जनता से फीडबैक मांगा था उसकी भाषा को लेकर जानकार चिंतित थे। इसमें साफ तौर पर लिखा था कि यूज़र को 90 दिनों तक प्लेन टेक्स्ट मैसेज को स्टोर करना होगा। (
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सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, ''भारत और भारत के बाहर से काम कर रहे सभी सर्विस प्रोवाइडर जो इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी के जरिए किसी भी तरह की सेवा मुहैया करा रहे हैं, उन्हें भारत में सर्विस देने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता करना होगा।" पॉलिसी की भाषा बेहद ही लचीली थी जिस कारण से कई ऐप्स और व्हाट्सऐप जैसे सर्विस इसकी जद में आ रहे थे।
सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
अब विवाद पर विराम लगाते हुए पॉलिसी के ड्राफ्ट को वापस लेने का फैसला किया है।
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