Bharti Enterprises ने पिछले महीने सैटेलाइट टेलीकॉम सर्विस शुरू करने के लिए केंद्र सरकार के अधीन टेलीकॉम डिपार्टमेंट, DoT के पास आवेदन दायर किया था। इस अप्रूवल के बाद ही कंपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू कर सकती है। वहीं, दूसरी ओर बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी Starlink भी भारत में कदम रखने के भरसक प्रयास कर रही है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि Airtel अपने प्रतिद्वंदियों के बीच भारत में लीड हासिल करने के लिए कमर कस चुकी है। कंपनी के वाइस चेयरमैन, राजन भारती मित्तल के मुताबिक भारती एंटरप्राइसेस स्पेक्ट्रम एलोकेशन का इंतजार कर रही है और गुजरात और तमिलनाडु में
दो स्टेशन्स को पहले ही तैयार कर चुकी है। कंपनी को केवल अनुमति मिलने का इंतजार है, जिसके बाद एयटेल भारत में सैटेलाइट टेलीकॉम देने वाली पहली कंपनी बन जाएगी।
हाल ही में टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia ने कहा था सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का एलोकेशन करने से कंज्यूमर्स को अधिक विकल्प मिलेंगे। उन्होंने
Reliance Jio की इस आशंका को गलत बताया था कि इससे स्टारलिंक को फायदा होगा। पिछले कुछ महीनों से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम को दिए जाने के प्रोसेस को लेकर स्टारलिंक का Mukesh Ambani की रिलायंस जियो के साथ विवाद चल रहा था। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए रिलायंस जियो ने ऑक्शन करने की मांग रखी थी। हालांकि, सरकार ने इंटरनेशनल ट्रेंड के अनुसार इस स्पेक्ट्रम को एलोकेट करने का फैसला किया है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इस स्पेक्ट्रम का ऑक्शन करने पर अधिक इनवेस्टमेंट करने की जरूरत होगी और इससे इंटरनेशनल टेलीकॉम कंपनियां पीछे हट सकती हैं।
What is Satellite Broadband Service?
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस एक तरह की इंटरनेट सेवा है, जो सैटेलाइट के जरिए काम करती है। इसमें डेटा ट्रांसमिशन के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल या मोबाइल टावर की जरूरत नहीं होती, बल्कि सिग्नल सीधे सैटेलाइट से भेजे और रिसीव किए जाते हैं। इस सर्विस के लिए एक सैटेलाइट डिश और मॉडेम की जरूरत होती है, जो यूजर्स के स्थान से उपग्रह तक डेटा भेजता और प्राप्त करता है। यह सर्विस खासतौर पर उन इलाकों में उपयोगी होती है, जहां फाइबर ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क की पहुंच सीमित होती है, जैसे ग्रामीण क्षेत्र, पहाड़ी इलाके या समुद्री जहाज।
SpaceX की Starlink, Bharti Enterprises द्वारा बैक्ड OneWeb और Amazon की Project Kuiper जैसी कंपनियां इस तकनीक पर काम कर रही हैं। हालांकि, सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की लागत अभी फाइबर इंटरनेट से ज्यादा हो सकती है, लेकिन यह दूरदराज के इलाकों में कनेक्टिविटी का बेहतरीन समाधान है।