अंतरिक्ष में हर रोज ऐसी गतिविधियां हो रही हैं, जिनकी जानकारी वैज्ञानिकों को अचंभे में डाल रही है। दुनियाभर के खगोलविदों ने मिलकर एक ऑप्टिकल फ्लेयर यानी चमक का अध्ययन किया है। यह चमक एक मरते हुए तारे की ब्लैक होल के साथ हुई भिड़ंत का नतीजा थी। खास बात यह है कि इस स्टडी में भारत के पहले रोबोटिक ऑप्टिकल रिसर्च टेलीस्कोप की मदद ली गई। इसका नाम है- ग्लोबल रिले ऑफ ऑब्जर्वेटरीज वाचिंग ट्रांजिएंट्स हैपन (GROWTH) है। इसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान और आईआईटी बॉम्बे ने मिलकर डेवलप किया है। इस टेलीस्कोप का प्राइमरी रिसर्च फोकस टाइम-डोमेन एस्ट्रोनॉमी है। यानी यह ब्रह्मांड में होने वाले विस्फोटों और उनके सोर्सेज को स्टडी करेगा।
बताया गया है कि ब्लैक होल ने मरते हुए तारे के मटीरियल को अपनी ओर खींचा और जेट की स्पीड से लॉन्च किया। रिपोर्ट्स के
अनुसार, ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण ज्वारीय (tidal) फोर्सेज की वजह से मरता हुआ तारा तहस नहस हो जाता है। तारे के टुकड़े ब्लैक होल के चारों ओर घूमने वाली डिस्क बनाते हैं और आखिरकार ब्लैक होल उन्हें ‘खा' जाता है। स्टडी के रिजल्ट नेचर जर्नल में पब्लिश हुए हैं।
इन नतीजों का स्रोत वह इमेज है, जो 11 फरवरी 2022 को कैलिफोर्निया स्थित ज़्विकी ट्रांसिएंट फैसिलिटी प्रोजेक्ट से मिली थी। तस्वीर में आकाश में एक नया स्रोत दिखाई दिया, जिसे AT2022cmc कहा गया। यह तेजी से चमकते हुए विलुप्त भी हो रहा था। IIT बॉम्बे के खगोलविदों ने GROWTH टेलिस्कोप की मदद से उसे ऑब्जर्व करना शुरू किया। डेटा से पता चला है कि वह चीज बहुत तेजी से खत्म हो रही थी।
इसके बाद भारत की टीम ने बाकी देशों की टीम से सहयोग किया। तमाम जांचों से यह कन्फर्म हुआ कि AT2022cmc तेजी से लुप्त हो रहा था। इसके अलावा वेरी लार्ज टेलीस्कोप की मदद से पता चला कि यह फ्लेयर यानी चमक 8.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर था। खगोलविदों को लगता है कि AT2022cmc एक आकाशगंगा के केंद्र में था। हालांकि आकाशगंगा अभी दिखाई नहीं दे रही है। उम्मीद है कि भविष्य में हबल टेलिस्कोप या जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इस आकाशगंगा का पता लगाया जा सकता है।
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