पृथ्‍वी से 3 अरब किलोमीटर दूर ‘छुपे’ हैं महासागर! चौंका रही है यह जानकारी, जानें

वोयाजर 2 इकलौता ऐसा अंतरिक्ष यान है, जो यूरेनस तक पहुंचा था।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 22 मार्च 2023 17:51 IST
ख़ास बातें
  • वोयाजर 2 स्‍पेसक्राफ्ट के डेटा को फ‍िर से जांचने पर निकला अनुुमान
  • यूरेनस पर पहुंंचने वाला इकलौता स्‍पेसक्राफ्ट है वोयाजर 2
  • भविष्‍य में लॉन्‍च होने वाले मिशनों के काम आ सकती है यह जानकारी

यूरेनस के सिस्‍टम में एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स का होना यह इशारा देता है कि उसके एक या दो चंद्रमा अपने भीतर एक सक्रिय महासागर को समेटे हुए हो सकते हैं।

Photo Credit: Johns Hopkins applied physics laboratory

हमारे सौरमंडल का सातवां ग्रह है यूरेनस (Uranus) जिसे अरुण भी कहा जाता है। रिसर्चर्स ने यह अनुमान लगाया है कि यूरेनस की परिक्रमा करने वाले 27 चंद्रमाओं में से 2 चंद्रमाओं की सतह के नीचे सक्रिय महासागर यानी समुद्र छिपे हुए हो सकते हैं। ये अपना मटीरियल अंतरिक्ष में पहुंचा सकते हैं। जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी में रिसर्चर्स की एक टीम ने यह विश्‍लेषण किया है। टीम को लगता है कि यूरेनस के एक या दो चंद्रमा अपने ग्रह के सिस्‍टम में प्‍लाज्‍मा के पार्टिकल्‍स भेज रहे हैं। ये एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स हैं। 

इस नतीजे तक पहुंचने के लिए रिसर्चर्स की टीम ने वोयाजर 2 (Voyager 2) स्‍पेस प्रोब के डेटा का इस्‍तेमाल किया है। साल 1977 में लॉन्‍च किए गए वोयाजर 2 स्‍पेस प्रोब ने 1986 में यूरेनस पर बर्फ से जुड़ी जानकारियां जुटाई थीं। आजतक के इतिहास में वोयाजर 2 इकलौता ऐसा अंतरिक्ष यान है, जो यूरेनस तक पहुंचा था। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरेनस के सिस्‍टम में एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स का होना यह इशारा देता है कि उसके एक या दो चंद्रमा अपने भीतर एक सक्रिय महासागर को समेटे हुए हो सकते हैं। इसी तरह के डेटा से वैज्ञानिक पूर्व में यह भी जान चुके हैं कि बृहस्‍पति का चंद्रमा यूरोपा और शनि का चंद्रमा एन्सेलाडस भी समुद्र को संजोए हुए है।  

हालांकि वैज्ञानिकों की टीम पार्टिकल्‍स के सोर्स का पता नहीं लगा पाई है, लेकिन इसने भविष्‍य के लिए प्रस्‍तावित म‍िशनों को बड़ा सुराग जरूर दिया है। वैज्ञानिक लंबे समय ये यह कहते आए हैं कि अब सौरमंडल के बाहरी ग्रहों को भी एक्‍सप्‍लोर किया जाना चाहिए। दुनियाभर के देशों की स्‍पेस एजेंसियों की नजर फ‍िलहाल चंद्रमा और मंगल ग्रह पर है, लेकिन बाहरी सौरमंडल के ग्रह मसलन- शनि और यूरेनस में भी जीवन की संभावनाओं से जुड़े सबूत हो सकते हैं। 

वैसे भी कई स्‍टडी में यह सामने आया है कि पृथ्‍वी पर पानी हमारे सौरमंडल से आया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि  हमारे सौरमंडल में घूमने वाले एस्‍टरॉयड (Asteroids) से पृथ्‍वी में पानी आया हो सकता है। वैज्ञानिक, एस्‍टरॉयड ‘रयुगु' (Ryugu) के सैंपलों की स्‍टडी कर रहे हैं, जिसने उन्‍हें यह संकेत दिया है कि पृथ्‍वी पर पानी एस्‍टरॉयड लाए। यानी पानी की मौजूदगी हमारे सौरमंडल में है।  
 

 

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प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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