सूर्य में उठ रहा तूफान, पृथ्‍वी तक हो सकता है असर, दुनियाभर की एजेंसियों ने जारी की एडवाइजरी

इसकी वजह सूर्य पर बना एक सनस्‍पॉट है, जो बार-बार सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्‍शन को भड़का रहा है।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 18 अगस्त 2022 20:18 IST
ख़ास बातें
  • हालांकि आप तक इसका असर बिलकुल नहीं होगा
  • अंतरिक्ष में हमारे सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं
  • पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है

यह सब उस 11 साल के सौर चक्र का नतीजा है, जिससे सूर्य गुजर रहा है।

पृथ्‍वी पर एक के बाद एक कई सौर तूफानों (solar storms) का खतरा मंडरा रहा है। यह सब उस 11 साल के सौर चक्र का नतीजा है, जिससे सूर्य गुजर रहा है। यह बहुत अधिक एक्टिव फेज में है और साल 2025 तक हलचलों से घिरा रहेगा। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने एक चेतावनी में कहा था कि विशाल सौर विस्‍फोटों के बार-बार होने की संभावना है। अब ब्रिटिश मौसम कार्यालय, US नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) और ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो (बीओएम) ने अगले कुछ दिनों में सौर और भू-चुंबकीय (geomagnetic) तूफानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसकी वजह सूर्य पर बना एक सनस्‍पॉट है, जो बार-बार सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्‍शन को भड़का रहा है। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्‍वी के नजरिए से यह एक चिंता वाली बात लगती है, पर सूर्य का ऐसा व्‍यवहार सामान्‍य है। ये तूफान कुछ छोटी-मोटी गड़बड़ियां पैदा कर सकते हैं। हालांकि आप तक इनका असर बिलकुल नहीं होगा। सिर्फ अंतरिक्ष में हमारे सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं। पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। तूफान ज्‍यादा खतरनाक हुए तो अंतरिक्ष में मौजूद यात्रियों को खतरे में डाल सकते हैं। अगर आप हाई एल्‍टीट्यूट में रहते हैं, तो शानदार ऑरोरा का नजारा देखने को मिल सकता है। 

सौर तूफान सूर्य के जीवन का प्राकृतिक हिस्सा हैं। हर 11 साल में जब एक नया चक्र शुरू होता है, तो यह अलग-अलग गतिविधि स्तरों से गुजरता है। इस दौरान सूर्य में हलचलें बढ़ जाती हैं। इसकी वजह से कोरोनल मास इजेक्‍शन यानी CME और सोलर फ्लेयर्स देखने को मिलते हैं। CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। 

अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्‍यादा होने पर ये पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं। 
 

 

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