सूर्य ने पृथ्‍वी को दिखाई ‘आंख’, 2 सोलर फ्लेयर्स के भड़कने से रेडियो ब्‍लैकआउट

Solar Flares : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पहले ही एक चेतावनी में बता चुकी है कि सूर्य में हो रही ये घटनाएं साल 2025 तक जारी रहेंगी।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 11 सितंबर 2023 18:27 IST
ख़ास बातें
  • सूर्य से निकले 2 सोलर फ्लेयर
  • पृथ्‍वी पर बढ़ा सौर तूफान खतरा
  • साल 2025 तक जारी रहेगा सिलसिला

यह सब सूर्य में उभरे एक सनस्‍पॉट की वजह से है, जिसे AR3429 कहा जाता है।

Photo Credit: Nasa

भारत का आदित्‍य एल-1 (Aditya L1) मिशन सूर्य की ओर बढ़ रहा है, उससे पहले हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ‘तारा' उग्र हो रहा है। एक के बाद एक पृथ्‍वी पर सौर तूफान आ रहे हैं। यह सब उस सौर चक्र का नतीजा है, जिससे हमारा सूर्य गुजर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) पहले ही एक चेतावनी में बता चुकी है कि सूर्य में हो रही ये घटनाएं साल 2025 तक जारी रहेंगी। इस अवधि को सोलर मैक्सिमम (Solar Maximum) कहा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्‍वी पर एक और सौर तूफान का खतरा है, क्‍योंकि सूर्य का जो हिस्‍सा पृथ्‍वी की ओर है, उस पर एक सोलर फ्लेयर (Solar Flare) भड़का है।      

स्‍पेसवेदरलाइव की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सोलर फ्लेयर की वजह से सोमवार को प्रशांत महासागर के ऊपर एक अस्‍थायी रेडियो ब्‍लैकआउट पैदा हो गया। यही नहीं, कुछ देर बाद एक और सोलर फ्लेयर की वजह से जापान, साउथ कोरिया और चीन के पूर्वी इलाकों में भी ऐसी ही‍ स्थिति पैदा हो गई। 

यह सब सूर्य में उभरे एक सनस्‍पॉट की वजह से है, जिसे AR3429 कहा जाता है। एक और सनस्‍पॉट जिसका नाम AR3423 है, वो भी पृथ्‍वी व अन्‍य ग्रहों के लिए मुसीबत बन सकता है। AR3423 का आकार बीते शुक्रवार के मुकाबले अबतक 1 लाख किलोमीटर तक बढ़ गया है। 
 

क्‍या हैं सोलर फ्लेयर 

जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्‍स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कर लेते हैं। 

सोलर फ्लेयर की तरह ही कोरोनल मास इजेक्‍शन भी पृथ्‍वी को मुसीबत में डालते हैं। ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्‍यादा होने पर ये पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. iQOO Z10 Lite 5G जल्द होगा भारत में लॉन्च, 6,000mAh की बैटरी
  2. 50MP कैमरा, 4700mAh बैटरी वाले इस Samsung फोन को मात्र 34 हजार में खरीदें
#ताज़ा ख़बरें
  1. फीचर फोन यूजर्स भी कर सकेंगे UPI पेमेंट्स, PhonePe जल्द लाएगा नया ऐप!
  2. Huawei Band 10 भारत में लॉन्च, AMOLED स्क्रीन और 14 दिन की बैटरी के साथ; जानें कीमत
  3. iQOO Z10 Lite 5G जल्द होगा भारत में लॉन्च, 6,000mAh की बैटरी
  4. Oppo की K13x 5G के लॉन्च की तैयारी, 6,000mAh हो सकती है बैटरी
  5. Google Chrome होगा अब तक सबसे तेज!, अब ज्यादा फास्ट होगा काम, बचेगा समय
  6. Elon Musk की Starlink सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत की हरी झंडी!
  7. Fairphone 6 का डिजाइन और प्राइस लीक, मॉड्यूलर स्मार्टफोन जल्द हो सकता है लॉन्च
  8. बिलिनेयर Elon Musk को भारी पड़ी ट्रंप की नाराजगी, Tesla की वैल्यू में भारी गिरावट
  9. इन फोन में नहीं चलेगा Youtube App, आपका फोन भी तो नहीं है लिस्ट में
  10. ट्रंप और मस्क के विवाद का क्रिप्टो मार्केट पर बड़ा असर, Bitcoin 1,04,000 डॉलर से नीचे
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.