सौर तूफान सूर्य से निकलने वाली असीम ऊर्जा होती है जो पूरे सौरमंडल को भी प्रभावित कर सकती है। सौर हवा को लेकर वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है जो काफी चौंकाने वाली है। साल 2017 में आए एक सौर तूफान का जिक्र इसमें किया गया है जिसने बृहस्पति पर ऐसा प्रभाव डाला कि इसका चुंबकीय मंडल दबाव में आ गया। इसने ग्रह के बीचों बीच एक बेहद गर्म क्षेत्र का निर्माण कर दिया जो ग्रह की लगभग आधी परिधि पर फैल गया। यह देखने में ऐसा था जैसे बृहस्पति पर एक दरार पड़ गई हो।
सौर हवा के प्रभाव से संबंधित ऐसी घटना पहली बार रिपोर्ट की गई। इस घटना के परिणामस्वरूप तापमान 500C से अधिक हो गया, जो कि सामान्य पृष्ठभूमि में 350C रहता है। स्टडी को
Geophysical Research Letters में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया (
via) है कि सूर्य में इस तरह के सौर विस्फोट महीने में कम से कम दो या तीन बार होते हैं। यह घटना बृहस्पति के सौर प्रभावों के प्रति लचीलेपन के बारे में पिछली धारणाओं को चुनौती देने वाली साबित हुई।
रिसर्च के प्रमुख लेखक डॉ. जेम्स ओ डोनोग्यू ने सौर हवा के प्रभाव के बारे में कहा कि यह ऐसा था जैसे बृहस्पति के चुंबकीय कवच को एक बड़ी स्क्वैश बॉल की तरह कुचल दिया गया हो। इसी दबाव के कारण अत्यधिक गर्म क्षेत्र पैदा हुआ। Keck टेलीस्कोप और नासा के जूनो स्पेसक्राफ्ट के डेटा को मिलाकर शोधकर्ताओं ने नतीजा निकाला कि कम्प्रेशन के कारण बृहस्पति के ध्रुवों पर ऑरोरल हीटिंग तेज हो गई और गर्म गैस इसके इक्वेटर पर फैलती चली गई।
यह खोज बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह दर्शाती है कि बृहस्पति जैसे विशाल ग्रह भी सौर प्रभावों के लिए बेहद संवेदनशील हैं जैसे कि हमारी पृथ्वी। इससे पहले धारणा थी कि बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों पर सौर हवाओं का उतना अधिक प्रभाव नहीं पड़ सकता है जितना कि पृथ्वी के वायुमंडल पर पड़ सकता है। बृहस्पति को हमेशा से एक प्रयोगशाला के रूप में माना जाता रहा है। इससे यह समझा जा सकता है कि सौर तूफान किस प्रकार ग्रहों को प्रभावित करते हैं। इस तरह की स्टडी से पृथ्वी पर अंतरिक्ष मौसम संबंधी व्यवधानों, जैसे कि जीपीएस और पावर ग्रिडों को प्रभावित करने वाले व्यवधानों के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। जिससे जानकारी और सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
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