सूर्य में अचानक हुआ विस्‍फोट! ऑस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड पर असर, जानें पूरा मामला

Solar flare : सूर्य की सतह पर घने चुंबकत्व वाले क्षेत्र से अचानक एक और सोलर फ्लेयर (solar flare) बाहर निकला। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के कुछ हिस्सों में अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट हो गया।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 8 नवंबर 2022 13:14 IST
ख़ास बातें
  • 6 नवंबर को सूर्य पर बने एक सनस्‍पॉट से निकला सोलर फ्लेयर
  • इसने पृथ्‍वी तक असर डाला
  • सूर्य में चल रहीं गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं

Solar flare : सोलर एक्टिविटीज को वैज्ञानिकों ने साल 1775 से ट्रैक किया है। सूर्य का 11 साल का चक्र होता है, जिसमें इसकी गतिविधियां बढ़ती और कम होती हैं।

सूर्य में हलचलों का दौर जारी है। हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा तारा बीते कुछ समय से अजीबोगरीब व्‍यवहार कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) अपनी चेतावनी में बता चुकी है कि विशाल सौर विस्‍फोटों के बार-बार होने की संभावना है। यह विस्‍फोट और इनमें बढ़ोतरी साल 2025 तक जारी रहेगी। इसकी वजह से सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है। अब जानकारी मिली है कि सूर्य की सतह पर घने चुंबकत्व वाले क्षेत्र से अचानक एक और सोलर फ्लेयर (solar flare) बाहर निकला। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के कुछ हिस्सों में अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट हो गया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने M5-क्लास वाले मीडियम-स्ट्रेंथ के सोलर फ्लेयर को रिकॉर्ड किया। जानकारी के अनुसार यह फ्लेयर 6 नवंबर को सूर्य पर बने एक सनस्‍पॉट से बाहर निकला। इसकी वजह से रेडिएशन निकला, जिसने पृथ्वी के वायुमंडल को आयनित (ionized) कर दिया।

सनस्पॉट, सूर्य की सतह पर ऐसे डार्क रीजन होते हैं, जहां इलेक्ट्रिकल चार्ज के प्रवाह से बनने वाले पावरफुल चुंबकीय क्षेत्र (magnetic fields) टूटने से पहले गांठों में बंध जाते हैं। बताया जाता है कि जिस सनस्‍पॉट से सोलर फ्लेयर बाहर निकला, उसी से एक कोरोनल मास इजेक्‍शन (CME) भी निकला था, लेकिन इसका टार्गेट पृथ्‍वी नहीं थी। 

सोलर फ्लेयर अप्रत्याशित रूप से भड़का, जिसने वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल दिया। SpaceWeatherLive ने ट्विटर पर बताया है कि हमें खेद है कि इस घटना के लिए कोई अलर्ट नहीं था। सोलर फ्लेयर का भड़कना एक आवेग था। सोलर फ्लेयर्स को आसान भाषा में समझना हो तो जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तब उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्‍स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। ये हमारे सौर मंडल के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। 

वहीं, CME सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। 
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सोलर एक्टिविटीज को वैज्ञानिकों ने साल 1775 से ट्रैक किया है। सूर्य का 11 साल का चक्र होता है, जिसमें इसकी गतिविधियां बढ़ती और कम होती हैं। हाल के समय में सौर गतिविधियां एक्‍स्‍ट्रीम रही हैं। इस वजह से रेडियो ब्‍लैकआउट तो हुए ही हैं, सैटेलाइट्स पर भी असर पड़ा है। शानदार ऑरोरा भी देखने को मिले हैं।  
 

 

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