कोरोना महामारी अभी दुनिया से खत्म नहीं हुई है और मंकीपॉक्स (monkeypox) के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इस साल मई के बाद से 93 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 54,400 मामले सामने आए हैं। अकेले अमेरिका में अब तक 20,700 से ज्यादा मामलों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से कई मामले उन पुरुषों में देखे गए, जो अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं। हालांकि कई मामलों में इसके बिना भी बीमारी का प्रसार होते हुए देखा गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल के हफ्तों में संकेत मिले हैं कि मंकीपॉक्स अब नॉनसेक्सुअल रूट्स से भी फैल रही है यानी यह उन लोगों को भी अपनी चपेट में ले रही है, जो किसी तरह की सेक्सुअल गतिविधि में शामिल नहीं थे।
जब बाकी वजहों से भी मंकीपॉक्स के व्यापक रूप से फैलने की संभावना है, तो क्या सभी को मंकीपॉक्स का टीका लगवाने की सलाह दी जाएगी? अगर ऐसा किया जाता है तो क्या पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन या टीके उपलब्ध होंगे। लाइव साइंस की
रिपोर्ट में यही बताने की कोशिश की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संभावना नहीं है कि सभी को जल्द ही मंकीपॉक्स का टीका लगवाने के लिए कहा जाएगा। इसकी वजह टीके की कम आपूर्ति है। एक्सपर्ट कहते हैं कि मंकीपॉक्स का टीका लगवाने को लेकर विभिन्न देशों की योजनाओं में बदलाव तब तक नहीं होगा, जब तक यह वायरस डेकेयर, स्कूल या कॉलेज परिसरों जैसे जगहों में व्यापक रूप से फैलने न लगे।
ईस्ट कैरोलिना यूनिवर्सिटी में ब्रॉडी स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर राहेल रोपर ने लाइव साइंस को बताया, हमें इस वक्त देखना और इंतजार करना है। यह निर्भर करता है कि आने वाले हफ्तों में वायरस कैसे फैलता है। रोपर ने कहा कि अधिकारी वैक्सीन की आपूर्ति को आबादी तक पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि किस लेवल पर वायरस के फैलने के बाद यह कदम उठाया जाएगा।
बहरहाल, अमेरिका में अभी दो टीके- JYNNEOS और ACAM2000 का इस्तेमाल मंकीपॉक्स को रोकने के लिए किया जाता है। इसमें भी ACAM2000 को व्यापक इस्तेमाल के लिए रिकमंड नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके जोखिम भी हैं। वहीं JYNNEOS वैक्सीन के साथ समस्या इसके उत्पादन की है। कुछ समय पहले तक इस वैक्सीन का प्रोडक्शन और पैकेजिंग सिर्फ डेनमार्क स्थित कंपनी बवेरियन नॉर्डिक करती थी। कहा जाता है कि यह एक साल में करीब 4 करोड़ वैक्सीन का प्रोडक्शन कर सकती है, जो दुनिया के लिहाज से ना के बराबर है। और वैक्सीन की कम से कम 2 डोज का मानक भी होगा, जिससे वैक्सीन डेढ़ से 2 करोड़ लोगों को ही कवर कर पाएगी। इससे ज्यादा आबादी तो भारत की राजधानी दिल्ली की है।
एक्सपर्ट का कहना है कि हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है। यह वायरस दुनियाभर के देशों को तेजी से अपनी चपेट में लेता है, तो जाहिर तौर पर वैक्सीन लगाने का दायरा और वैक्सीन की आपूर्ति को बढ़ाना होगा।