बर्फ के 1,640 फीट नीचे वैज्ञानिकों को मिली जीवों की नई दुनिया!

इस छुपे हुए ईकोसिस्टम को ढूंढने के लिए रिसर्च टीम ने बर्फ के नीचे 1640 फीट गहरा गड्ढा किया।

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अपडेटेड: 12 जून 2022 18:03 IST
ख़ास बातें
  • ईकोसिस्टम के अंदरूनी हिस्से को देख वैज्ञानिक हैरान
  • यहां पर पानी के बर्ताव को देख भी वैज्ञानिक हैरान हैं
  • यहां का पानी चार-पांच परतों में बंटा हुआ है

इस छुपे हुए ईकोसिस्टम को ढूंढने के लिए रिसर्च टीम ने बर्फ के नीचे 1640 फीट गहरा गड्ढा किया।

वैज्ञानिक धरती के बाहर जीवन की खोज में लगे हैं लेकिन धरती पर भी कुछ ऐसी जगह हैं जो अब तक अनछुई हैं। अंटार्कटिका पूरा बर्फ से ढका हुआ है, वहां पर जमा देने वाली ठंड है, लेकिन कुदरत का करिश्मा ऐसा है कि यहां भी जीवों की अपनी एक दुनिया हो सकती है, इसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे वैज्ञानिकों को जीवों की ऐसी ही एक अलग दुनिया मिली है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें बर्फ के नीचे छोटे जीवों का एक पूरा ईकोसिस्टम मिला है। वैज्ञानिकों को यह छुपा हुआ ईकोसिस्टम लार्सेन आईस शेल्फ के नीचे मिला है। वैज्ञानिकों ने बर्फ के 500 मीटर नीचे तक खुदाई की। फिर जब कैमरा इसमें डाला गया तो नीचे का नजारा देख वे हैरान रह गए। नीचे की गुफा जैसी जगह पूरी की पूरी छोटे, झींगा जैसे जीवों के झुंडों से भरी हुई पाई गई। सैटेलाइट इमेज बताती हैं कि जहां पर यह ईकोसिस्टम पाया गया है, वह एक उपसतही नदी है। 

इस छुपे हुए ईकोसिस्टम को ढूंढने के लिए रिसर्च टीम ने बर्फ के नीचे 1640 फीट गहरा गड्ढा किया। ड्रिलिंग के लिए टीम ने गर्म पानी के होज का इस्तेमाल किया। इसमें जब कैमरा अंदर भेजा गया तो उन्हें छोटे छोटे धुंधले से धब्बे दिखाई दिए। ये कैमरा की तकनीकी खराबी नहीं थी बल्कि छोटे छोटे क्रस्टेशिअन थे जिन्हें एम्फिपोड्स कहा जाता है। ये दिखते झींगे जैसे हैं लेकिन इनमें कोई शेल या कवच नहीं पाया जाता है। वैज्ञानिकों को बर्फ के इतना नीचे इस तरह के जीव मिलने की उम्मीद नहीं थी।  

Photo Credit: NIWA/Craig stevens

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NIWA) के एक भौतिक समुद्र विज्ञानी क्रैग स्टीवंस ने कहा, "उन सभी जीवों के हमारे कैमरे के चारों ओर तैरने का मतलब है कि वहां स्पष्ट रूप से एक महत्वपूर्ण ईकोसिस्टम प्रोसेस चल रही है।"

जहां ये ईकोसिस्टम पाया गया है, उस जगह के अंदरूनी हिस्से को देख वैज्ञानिक हैरान थे। उन्हें एक फ्लैट छत की उम्मीद थी लेकिन यह काफी असमान थी। स्टीवंस ने कहा कि यह रोटी के टुकड़े के जैसी जगह थी, जहां टॉप पर उठाव और बॉटम में एक संकीर्ण ढलान थी। यहां पर पानी के बर्ताव को देख भी वैज्ञानिक हैरान हैं। यहां का पानी चार और पांच परतों में बंटा हुआ है और सभी लेयर एक दूसरे के विपरीत दिशा में बहती हैं। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि हम इस ईकोसिस्टम के बारे में आगे भी स्टडी जारी रखेंगे। वे इस बात का पता भी लगाएंगे कि यह पर पोषक तत्व अंडरग्राउंड पानी में कैसे सर्कुलेट होते हैं। 

 

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