तारे की ‘मौत’ का पता वैज्ञानिकों को पहले ही चल जाएगा, देख सकेंगे रियल टाइम सुपरनोवा!

इस खोज की बदौलत वैज्ञानिकों को ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्‍टम’ (early warning system) डेवलप करने में मदद मिल सकती है, जो उन्‍हें रियल टाइम में सुपरनोवा को देखने का मौका देगी।

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अपडेटेड: 14 अक्टूबर 2022 13:06 IST
ख़ास बातें
  • खोज सही रही तो किसी तारे को रियल टाइम में विस्‍फोट करते हुए देखा जा सकेगा
  • यह शोध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मंथली नोटिस जरनल में पब्लिश हुआ है
  • अबतक वैज्ञानिकों तारों को रियल टाइम में विस्‍फोट करते नहीं देख पाए हैं

वैज्ञानिकों का कहना है कि तारों के विनाश से कुछ महीनों पहले उनमें रोशनी लगभग 100 गुना कम हो जाती है।

रात को आसमान में सबसे ज्‍यादा दिखाई देते हैं तारे। हर तारे का अपना अस्तित्‍व है। हमारा सूर्य भी एक तारा है, जिसके चारों ओर हमारे सौरमंडल के ग्रह परिक्रमा करते हैं। तारों पर वैज्ञानिकों की विशेष नजर रहती है। रिसर्चर्स इन्‍हें और बारीकी से समझने में जुटे हैं। जब किसी तारे में विस्‍फोट होता है, यानी वह खत्‍म हो रहा होता है, तो बहुत अधिक चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं। यह अंतरिक्ष में होने वाला सबसे बड़ा विस्‍फोट है। इसे और करीब से समझने के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसा क्‍लू ढूंढा है, जो यह बता देगा कि किसी तारे में विस्‍फोट होने वाला है यानी सुपरनोवा बनने वाला है। कहा जा रहा है कि इस खोज की बदौलत वैज्ञानिकों को  ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्‍टम' (early warning system) डेवलप करने में मदद मिल सकती है, जो उन्‍हें रियल टाइम में सुपरनोवा को देखने का मौका देगी।  

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, स्‍टडी के प्रमुख लेखक बेंजामिन डेविस ने कहा कि अर्ली वॉर्निंग सिस्‍टम के साथ हम सुपरनोवा को रियल टाइम में देखने के लिए तैयार हो सकते हैं। हम हमारे बेस्‍ट टेलीस्‍कोप को तारे पर फोकस कर देंगे, जिससे उससे होने वाला विस्‍फोट रियल टाइम में हमें दिखाई देगा।   

यह शोध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मंथली नोटिस जरनल में पब्लिश हुआ है। स्‍टडी में उन तारों के डेटा को सिम्‍युलेट किया गया, जो एक साल बाद सुपरनोवा बन गए। वैज्ञानिकों को पता चला कि विस्फोट से पहले तारे के चारों ओर परिस्थितिजन्य धूल का एक कोकून बनता है। सुपरनोवा पर हुए हालिया अध्ययनों से पता चला कि जिस तारे में विस्‍फोट हुआ, वह एक मोटे कोकून के अंदर था। शायद विनाश से पहले तारे से कोकून बाहर निकल गया। 

स्‍टडी बताती है कि सूर्य के द्रव्यमान के आठ से 20 गुना के बीच के तारे में उसके आखिर के कुछ महीनों में नाटकीय परिवर्तन होते हैं। बेंजामिन डेविस ने कहा कि हमें नहीं पता कि तारे ऐसा क्यों करते हैं। ऐसे तारों के विनाश से कुछ महीनों पहले उनमें रोशनी लगभग 100 गुना कम हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा क्‍यों होता है, यह तब तक नहीं पता चलेगा, जबतक सुपरनोवा को होते हुए देखा नहीं जाता। 

रियल टाइम में किसी सुपरनोवा को कैप्‍चर करने के लिए वैज्ञानिकों को एक ऐसी दूरबीन की जरूरत होती, जो उन्‍हें यह बता सके कि किस तारे की रोशनी लगभग 100 गुना कम हो गई है। साल 2023 में लॉन्‍च होने वाली वेरा रुबिन ऑब्जर्वेटरी (VRO) के जरिए यह मुमकिन हो सकता है। इसका 3.2 गीगापिक्सल का कैमरा हर तीन रातों में आसमान में छोटे बदलावों का पता लगाएगा। अगर वैज्ञानिक की थ्‍योरी सही है, तो यह माना जाना चाहिए कि हम बहुत जल्‍द किसी तारे को मरते हुए रियल टाइम में देख सकेंगे। 
 

 

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