अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने अपने स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) के अंतिम बड़े परीक्षण में एक बार फिर देरी कर दी है। नासा ने बताया है कि मोबाइल लॉन्चर में प्रेशर बनाए रखने में आ रहे इशू के बाद ‘वेट ड्रेस रिहर्सल' को सस्पेंड कर दिया गया है। गौरतलब है कि मोबाइल लॉन्चर ही मिशन के लॉन्च होने तक रॉकेट को सपोर्ट देता है। यह टेक्निशियंस को रॉकेट में सेफ्टी के साथ प्रणोदक (propellants) लोड करने से रोकता है। बताया जा रहा है कि नासा के इंजीनियर इस इशू को सॉल्व करने के लिए काम कर रहे हैं। एजेंसी ने अपडेट किया है कि वह सोमवार को आर्टेमिस I (Artemis I) अनक्रूड मिशन का फाइनल टेस्ट फिर शुरू करने का लक्ष्य बना रही है। स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) का इस्तेमाल इंसान को एक बार फिर से चंद्रमा पर और आगे चलकर मंगल ग्रह पर ले जाने के लिए किया जाएगा।
अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर में 322-फुट के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट को परखने के लिए वेट ड्रेस रिहर्सल शुक्रवार को शुरू हुई थी। इसे रविवार तक पूरा कर लिया जाना था, लेकिन मोबाइल लॉन्चर के कुछ पंखे इसके अंदर पॉजिटिव प्रेशर नहीं बना सके। इस प्रेशर की जरूरत खतरनाक गैसों को बाहर रखने के लिए होती है। इस वजह से नासा के इंजीनियर फ्यूल-लोडिंग प्रक्रिया के लिए आगे नहीं बढ़ सके। नासा ने कहा है कि वो सोमवार को फ्यूल लोड करने की संभावना देख रही है।
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पोस्ट में नासा ने कहा है कि मोबाइल लॉन्चर में प्रेशर बनाने में नुकसान होने की वजह से टीमों ने इसकी जांच का फैसला किया है।
ध्यान रहे कि वेट ड्रेस रिहर्सल के दौरान सभी प्रोसिजर्स को पूरा किया जाएगा। सिर्फ रॉकेट को लॉन्च करने के अलावा बाकी सभी चीजें देखी जाएंगी। हजारों गैलन फ्यूल भी इस दौरान लोड किया जाएगा। शनिवार रात नासा को खराब मौसम का भी सामना करना पड़ा। रॉकेट के लॉन्चपैड के आसपास टावरों पर बिजली गिर गई। नासा ने बताया है कि करीब चार बिजली के झटके आए। इनमें से एक की तीव्रता अधिक थी।
SLS रॉकेट में सुपर हेवी-लिफ्ट एक्सपेंडेबल लॉन्च व्हीकल और ओरियन स्पेसक्राफ्ट शामिल हैं। रॉकेट को इस साल गर्मियों में मानव रहित मिशन- आर्टेमिस 1 के लिए लॉन्च किया जाएगा। आगे चलकर यह अंतरिक्ष यात्रियों को भी चंद्रमा पर लेकर जाएगा। आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत नासा का मकसद भविष्य के उन मंगल मिशनों के लिए SLS रॉकेट का इस्तेमाल करना है, जिनमें इंसान को भी मंगल ग्रह पर भेजा जाएगा। यानी इंसानों को चंद्रमा और फिर मंगल ग्रह पर भेजने में SLS रॉकेट की अहम भूमिका होने वाली है।
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