न्यूट्रीशन यानी पोषण से जुड़ी एक हाल ही की स्टडी में पाया गया है कि जरूरत से ज्यादा खाना ही मोटापे का मुख्य कारण नहीं हो सकता है। यह स्टडी इंटरनेशल लेवल के 17 प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी जो कि 13 सितंबर को द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन (The American Journal of Clinical Nutrition) में प्रकाशित हुई थी। इसके नतीजों को रिसर्च सपोर्ट करती है जो एनर्जी बैलेंस मॉडल (EBM) की लिमिटेशन और खामियों को देखती है। ईबीएम अब तक मोटापे के पीछे साधारण कारणों व कारकों को तय करने का सबसे आम और प्रभावी तरीका है। हालांकि शोधकर्ताओं का सुझाव है कि मोटापे के कारणों को जानने के लिए कार्बोहाइड्रेट-इंसुलिन मॉडल (CIM) एक बेहतर तरीका है।
ईबीएम मॉडल मोटापे को एनर्जी बैलेंस में एक गड़बड़ी के रूप में मानता है लेकिन यह कई बॉयोलॉजिकल मैकेनिज्म को अनदेखा कर देता है। इसके सदी पुराने मॉडल के अनुसार, वजन तब बढ़ता है जब हम शरीर की खपत से ज्यादा एनर्जी अपने शरीर में लेते हैं। बिना एक्टिविटी वाली लाइफस्टाइल, जो कि महामारी के कारण आज के दौर मैं बहुत आम है, एनर्जी की कम से कम खपत करती है। इसलिए हमारा शरीर उस एक्स्ट्रा एनर्जी को Fat (वसा) के रूप में जमा करने लग जाता है।
ईबीएम कुछ मेटाबॉलिक प्रोसेस के बारे में नहीं बताता है जो मानव शरीर के लिए सामान्य हैं। इस
स्टडी में कहा गया है, "जवानी की शुरूआत या यौन विकास के दौरान, शरीर में एनर्जी खपत से अधिक आती है क्योंकि बॉडी की एनर्जी स्टोर करने की जो क्षमता है वह काफी बढ़ जाती है। क्या बढ़ी हुई खपत से विकास होता है या क्या विकास से खपत बढ़ती है?" शोधकर्ताओं का कहना है कि ईबीएम शरीर के फैट स्टोरेज सिस्टम पर बायोलॉजीकल प्रभावों की पूरी तरह से अनदेखी करता है।
लंबे समय से, ज्यादा कैलोरी वाले खाने को खाना मोटापा आने का एकमात्र कारण माना जाता था। हालांकि, हाल की स्टडी में कहा गया है, "शरीर के वजन को कई अंगों, हार्मोन और मेटाबॉलिक प्रोसेस से जुड़े जटिल और परस्पर जुड़े सिस्टम द्वारा कंट्रोल किया जाता है।" इसका मतलब है कि कई कारक वजन बढ़ाने या फैट बढ़ाने की दिशा में काम करते हैं।
ईबीएम के उलट CIM मॉडल मोटापे के कारणों का पता करते समय हार्मोनल और मेटाबॉलिक प्रोसेस को ध्यान में रखता है। ईबीएम की तरह, यह खाने को फैट स्टोरेज से भी जोड़ता है। लेकिन यह नोट करता है कि वजन बढ़ना खाने की मात्रा का सवाल नहीं है बल्कि यह उसके बारे में है कि खाने की संरचना कैसी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग अलग तरह की खाने की चीजें शरीर में अलग अलग तरह की बायोलॉजिकल प्रोसेस को चालू करती हैं।
इस स्टडी से यह संकेत मिलता है कि अभी तक मोटापे के कारणों को लेकर जो धारणा बनी हुई थी उसके बारे में फिर से सोचने की जरूरत है और मोटापे के कारणों पर और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है।