NASA ने ‘मून रॉकेट’ को किया रोलआउट, ऐसा है दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट

‘स्पेस लॉन्च सिस्टम’ (SLS) रॉकेट को डमी काउंटडाउन के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्‍चपैड पर ले जाया गया।

NASA ने ‘मून रॉकेट’ को किया रोलआउट, ऐसा है दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट

Photo Credit: Twitter/Nasa

सबकुछ ठीक रहा, तो फ‍िर कई और टेस्‍ट किए जाएंगे और सबसे आखिर में ‘वेट ड्रेस रिहर्सल' होगी।

ख़ास बातें
  • यह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लंबा, पर 363 फीट के Saturn V रॉकेट से छोटा है
  • यह 8.8 मिलियन पाउंड की मैक्सिमम थ्रस्ट (39.1 मेगान्यूटन) प्रोड्यूस करेगा
  • इस वजह से यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होगा
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पहली बार अपने विशालकाय ‘मून रॉकेट' को उतारा है। ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम' (SLS) रॉकेट को डमी काउंटडाउन के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्‍चपैड पर ले जाया गया। इस इवेंट को देखने के लिए करीब 10 हजार लोग जमा हुए थे। सबकुछ ठीक रहा, तो फ‍िर कई और टेस्‍ट किए जाएंगे और सबसे आखिर में ‘वेट ड्रेस रिहर्सल' होगी। ओरियन क्रू कैप्सूल को रॉकेट के टॉप में फ‍िक्‍स करने के बाद SLS ब्लॉक 1 की ऊंचाई 322 फीट (98 मीटर) हो जाती है। यह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लंबा है, लेकिन 363 फीट के Saturn V रॉकेट से थोड़ा छोटा है। Saturn V रॉकेट की मदद से चंद्रमा के अपोलो मिशन को संचालित किया था।  

हालांकि SLS रॉकेट 8.8 मिलियन पाउंड की मैक्सिमम थ्रस्ट (39.1 मेगान्यूटन) प्रोड्यूस करेगा, जो Saturn V रॉकेट से 15 फीसदी अधिक है। इसका मतलब है कि जब यह काम करना शुरू करेगा, तब यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होगा। इवेंट देखने पहुंचने लोगों को संबोधित करते हुए नासा के एडमिनिस्‍ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट आपके सामने है।

एक न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह रॉकेट जितना बड़ा और ताकतवर है, उतना ही महंगा भी है। नासा के इंस्‍पेक्‍टर जनरल पॉल मार्टिन ने इस महीने देश की कांग्रेस को बताया था कि पहले चार आर्टेमिस मिशनों के लिए इस रॉकेट की कॉस्‍ट प्रति लॉन्‍च 4.1 बिलियन डॉलर (लगभग 31176.605 करोड़ रुपये) होगी।

लॉन्चपैड पर पहुंचने के बाद इंजीनियरों के पास इस रॉकेट को चेक करने के लिए दो हफ्तों का वक्‍त है। इसके बाद ‘वेट ड्रेस रिहर्सल' की जाएगी। SLS टीम इस रॉकेट में 700,000 गैलन (3.2 मिलियन लीटर) से ज्‍यादा क्रायोजेनिक प्रोपलेंट लोड करेगी और लॉन्‍च के हर चरण को परखेगी। क्‍योंकि यह सिर्फ टेस्टिंग है, इसलिए रॉकेट में विस्‍फोट से 10 सेकंड पहले टीम रुक जाएगी। 

यह सिस्‍टम पिछले एक दशक से तैयार हो रहा है, जिसमें देरी की वजह से इसकी लागत बढ़ी है। हालांकि नासा को उम्मीद है कि एक बार इसे सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद यह अपने डेवलपमेंट में हुई देरी को कवर कर लेगा। इस रोलआउट से तय होगा कि नासा अपने आर्टिमिस 1 मिशन को कब लॉन्‍च करेगी। आर्टिमिस मिशन का मकसद इंसान को एक बार फ‍िर चंद्रमा पर उतारना है। 

SLS पर काम साल 2010 में शुरू हुआ था, लेकिन टेक्‍निकल इशू के चलते इस प्रोजेक्‍ट में परेशानियां आईं। नासा का ‘आर्टेमिस I' मिशन पिछले साल नवंबर में उड़ान भरने वाला था। लॉन्च से ठीक एक महीने पहले नासा ने कहा कि उसने टाइमलाइन को आगे बढ़ा दिया और मिशन को फरवरी के मध्‍य तक लॉन्‍च किया जाएगा। खास बात यह है कि मिशन फरवरी में भी लॉन्‍च नहीं हो पाया और इस तारीख को फ‍िर से आगे बढ़ा दिया गया है।
 
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