चांद पर कब्र! आखिर क्‍या मिला Nasa के ऑर्बिटर को? जानें

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जापानी कंपनी ‘आईस्‍पेस' (ispace) के मून लैंडर के आखिरी विश्राम स्‍थल (resting place) को देखा है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 24 मई 2023 16:03 IST
ख़ास बातें
  • चांद पर क्रैश हो गया था जापानी कंपनी का लैंडर
  • नासा के ऑर्बिटर ने उस जगह को खोज निकाला है
  • जापानी कंपनी ‘आईस्‍पेस' ने पिछले महीने की थी लैंडिंग की कोशिश

आईस्‍पेस का HAKUTO-R M1 लैंडर 25 अप्रैल को चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान बर्बाद हो गया था।

Photo Credit: LROC

चांद पर कब्र! ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्‍योंकि एक प्राइवेट मून लैंडर जो पिछले महीने चांद पर क्रैश होकर खत्‍म हो गया था, उसकी अंतिम जगह को खोजा गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने जापानी कंपनी ‘आईस्‍पेस' (ispace) के मून लैंडर के आखिरी विश्राम स्‍थल (resting place) को देखा है। आईस्‍पेस का HAKUTO-R M1 लैंडर 25 अप्रैल को चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान बर्बाद हो गया था। उसके साथ गया संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का राशिद रोवर (Rashid rover) भी चांद पर लैंड नहीं कर पाया था। लैंडिंग से पहले ही ग्राउंड टीम का रोवरों के साथ कम्‍युनिकेशन टूट गया था। कुछ घंटों बाद आईस्‍पेस ने मिशन के फेल होने की पुष्टि की थी। 

अब नासा के लूनार रीकानसन्स ऑर्बिटर (LRO) ने कुछ तस्‍वीरें लेते हुए क्रैश साइट की खोज की है। ये तस्‍वीरें 26 अप्रैल को ली गई थीं, घटना से ठीक एक दिन बाद। LRO में लगे नैरो एंगल कैमरा (NACs) की मदद से लैंडिंग साइट के आसपास की 10 तस्‍वीरें ली गई थीं। लूनार रीकानसन्स ऑर्बिटर की ग्राउंड टीम ने तस्‍वीरों की जांच शुरू कर दी थी। टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसने चंद्रमा की सतह पर मलबे के कम से कम 4 टुकड़े और वहां कुछ बदलाव देखे हैं। इस जगह का अभी और विश्‍लेषण किया जाएगा, ताकि और जानकारी हास‍िल हो सके। 
 

ऐसा दूसरी बार हुआ था, जब किसी प्राइवेट कंपनी ने चंद्रमा पर अपने मिशन को लैंड कराने की कोशिश की थी। दोनों ही कोशिशें कामयाब नहीं हो पाई थीं। चंद्रमा के लिए पहला प्राइवेट मिशन इस्राइल की कंपनी ‘स्पेस आईएल' ने लॉन्‍च किया था। साल 2019 में लैंडिंग के दौरान कंपनी का अपने लैंडर से कम्‍युनिकेशन टूट गया था। उस लैंडर की क्रैश साइट को भी लूनार रीकानसन्स ऑर्बिटर ने खोज निकाला था। 

आईस्‍पेस को पूरी उम्‍मीद थी कि उसका लैंडर चंद्रमा पर उतरने में कामयाब हो जाएगा। स्‍पेसक्राफ्ट ने 6000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लैंडिंग शुरू की थी, जिसे आखिरी वक्‍त में शून्‍य तक कम कर दिया गया था। बावजूद इसके सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई। लैंडिंग के फेल होने से ‘आईस्‍पेस' को तो झटका लगा ही, यूएई का राशिद रोवर भी ‘खत्‍म' हो गया था। इस विफलता के बावजूद आईस्‍पेस अपने दूसरे और तीसरे मून मिशन पर काम कर रही है। इन्‍हें अगले साल से लॉन्‍च किया जाएगा।  
 

 

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ये भी पढ़े: Nasa LRO, iSpace, science news hindi

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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