Nasa के जूनो स्पेसक्राफ्ट ने कर दिखाया! पिछली
रिपोर्ट में हमने स्पेसक्राफ्ट की जिस अपकमिंग यात्रा के बारे में बात की थी, वह कामयाब रही है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी का अंतरिक्ष यान 30 दिसंबर को हमारे सौर मंडल के एक ‘खतरनाक' खगोलीय पिंड के करीब से गुजरा। इसने बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा आईओ (Io) की तस्वीरें लीं, जहां सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं। जानकारी के अनुसार, जूनो स्पेसक्राफ्ट जब आईओ के करीब पहुंचा, तब दोनों के बीच दूरी 1500 किलोमीटर रह गई थी। स्पेसक्राफ्ट में लगे ‘जूनो कैम' ने कई तस्वीरें लीं। इन्हीं में से एक फोटो में आईओ में एक्टिव ज्वालामुखी देखे जा सकते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, इतनी नजदीक के उड़ान भरने के दौरान जूनो स्पेसक्राफ्ट को बहुत ज्यादा रेडिएशन का सामना करना पड़ा। जूनो स्पेसक्राफ्ट साल 2016 में बृहस्पति ग्रह की कक्षा में पहुंचा था। तब से यह लगातार उसकी निगरानी कर रहा है। इसी साल 8 अप्रैल को जूनो ने बृहस्पति ग्रह का 50वां क्लोज पास पूरा किया था। यानी स्पेसक्राफ्ट ने बृहस्पति के चारों ओर 50 परिक्रमाएं पूरी कर लीं। यह स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति ग्रह के अन्य चंद्रमाओं को भी टटाेल रहा है, जिनमें गेनीमेड प्रमुख है।
खास बात है कि हालिया फ्लाईबाई से नासा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अगले महीने फरवरी में जूनो स्पेसक्राफ्ट एक बार फिर आईओ के करीब पहुंचेगा। वह एक अल्ट्राक्लोज फ्लाईबाई होगा यानी 30 दिसंबर की उड़ान से भी ज्यादा नजदीक। इस मिशन को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। आईओ के सफर करते समय जूनो स्पेसक्राफ्ट को अपनी कक्षा में 18 बार बदलाव करना होगा।
मिशन का लक्ष्य आईओ पर बहने वाले लावा के तापमान की जांच करना और यह पता लगाना है कि उसमें किस तरह की गतिविधियां हैं। अनुमान है कि मौजूदा समय में आईओ में लगभग 266 एक्टिव हॉट स्पॉट हैं। आने वाले वर्षों में साइंटिस्ट बृहस्पति ग्रह के कई और चंद्रमाओं के बारे में भी जानकारी जुटाएंगे। इनमें यूरोपा प्रमुख है। ऐसा माना जाता है कि यूरोपा की सतह पर बर्फ की मोटी चादर के नीचे नमकीन महासागर हो सकता है।
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