गजब : 2 सूर्य के चक्‍कर लगाता है यह ग्रह, उसमें भी लग जाते हैं 10 हजार साल, जानें इसके बारे में

वीएचएस 1256 बी (VHS 1256 b) नाम का यह ग्रह पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह अपने सूर्य से बहुत ज्‍यादा दूर है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 24 मार्च 2023 19:21 IST
ख़ास बातें
  • जेम्‍स वेब टेलिस्‍कोप ने की खोज
  • वीएचएस 1256 बी का एक्‍सोप्‍लैनेट अपने सूर्य से है बहुत दूर
  • इस ग्रह में सिलिकेट बादलों की खूबियां हैं

वीएचएस 1256 बी के बारे में जेम्‍स वेब ने एक और खास जानकारी हासिल की है। इस ग्रह में सिलिकेट बादलों की खूबियां हैं और ऐसा वातावरण है, जो हमेशा बदलता रहता है।

Photo Credit: Nasa

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के जेम्‍स वेब स्‍पेस टेलिस्‍कोप (James Webb Telescope) ने सुदूर अंतरिक्ष में एक और बड़ी खोज की है। जेम्‍स वेब ने एक ऐसे एक्‍सोप्‍लैनेट (Exoplanet) का पता लगाया है, जो 2 सूर्यों की परिक्रमा करता है। उसमें भी ग्रह को 10 हजार साल लग जाते हैं, तब जाकर एक चक्‍कर पूरा होता है। टेलिस्‍कोप ने जिस एक्‍सोप्‍लैनेट को खोजा है, वह एक विशाल लाल ग्रह है। गौरतलब है कि ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं।   

नासा के अनुसार, वीएचएस 1256 बी (VHS 1256 b) नाम का यह ग्रह पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह अपने सूर्य से बहुत ज्‍यादा दूर है, उदाहरण के लिए, प्‍लूटो ग्रह हमारे सूर्य से जितना दूर है, वीएचएस 1256 बी उससे भी 4 गुना ज्‍यादा अपने सूर्य से दूर है। जेम्‍स वेब टेलिस्‍कोप के लिए यह एक आदर्श ग्रह है। टेलिस्‍कोप इसे अच्‍छे से देख पाता है, क्‍योंकि वीएचएस 1256 बी और उसके सूर्य की रोशनी आपस में मिक्‍स नहीं होती। 

वीएचएस 1256 बी के बारे में जेम्‍स वेब ने एक और खास जानकारी हासिल की है। इस ग्रह में सिलिकेट बादलों की खूबियां हैं और ऐसा वातावरण है, जो हमेशा बदलता रहता है। यह स्‍टडी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई है। स्‍डडी में अनुमान लगाया गया है कि यह ग्रह महज 15 करोड़ साल पुराना है और ‘युवा' है। शायद इसी वजह से यहां का वातावरण भी अशांत है।  

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के डेटा का विश्‍लेषण करने वाली टीम ने पाया है कि VHS 1256 b के वातावरण में जहां सिलिकेट के बादल एक-दूसरे से मिक्‍स होते हैं, तापमान 830 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। वीएचएस 1256 बी नाम के एक्‍सोप्‍लैनेट की खोज इसलिए महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि इससे हमारे ब्रह्मांड में ग्रहों के विकास को समझने में जरूरी जानकारियां मिल सकती हैं। 
 

 

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