अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) ने पिछले साल दिसंबर में अंतरिक्ष में अबतक के सबसे बड़े टेलीस्कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) को लॉन्च किया था। यह टेलीस्कोप वहां खुद को सेटअप करने की प्रक्रिया पूरी करने वाला है और जल्द अपना काम शुरू कर सकता है। खबरों की मानें, तो इस टेलीस्कोप ने एक नई चट्टानी दुनिया का पता लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जाता है कि यह टेलीस्कोप 50 प्रकाश वर्ष दूर दो छोटे ग्रहों पर स्टडी करेगा।
space.com ने
लिखा है कि मौजूदा टेलीस्कोप टेक्नॉलजी में गैसीय आवरण वाले ग्रहों के मुकाबले चट्टानी ग्रहों को देखना ज्यादा कठिन है। लेकिन जेम्स वेब टेलीस्कोप में लगे पावरफुल मिरर और डीप स्पेस लोकेशन की वजह से पृथ्वी से थोड़े बड़े दो ग्रहों को टटोलने का काम जल्द शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि इन ग्रहों को ‘सुपर अर्थ' के रूप में जाना जाता है।
इन ग्रहों को भले ही सुपर अर्थ के तौर पर पहचाना जाता है, लेकिन यहां जीवन मुमकिन नहीं है। इनमें से एक ग्रह तो बेहद गर्म लावा से ढका हुआ है, जिसका नाम 55 कैनरी ई है। वहीं दूसरे ग्रह का नाम एलएचएस 3844 बी है, जिसमें कोई वातावरण नहीं है। दोनों ही ग्रह बेहद गर्म हैं। जेम्स वेब टेलीस्कोप इन ग्रहों के भू-विज्ञान को समझने की कोशिश करेगा। इनमें से 55 कैनरी ई ग्रह अपने तारे की परिक्रमा 24 लाख किलोमीटर की दूरी से करता है। यह बुध और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग चार फीसदी है।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह ग्रह सिर्फ 18 घंटों में अपने सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है। यहां ज्यादातर समय बेहद तेज धूप होती है। जेम्स वेब टेलीस्कोप के जरिए दो टीमें इन ग्रहों के बारे में जानने की कोशिश करेंगी। इनमें से एक नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी है, जबकि दूसरी स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट की होगी। वहीं बात करें दूसरे सुपर अर्थ एलएचएस 3844 बी की, तो यह भी अपने सूर्य के बेहद करीब है। 11 घंटे में उसकी परिक्रमा कर लेता है। हालांकि यह 55 कैनरी ई की तुलना में छोटा है।
वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि इन ग्रहों की जांच से हमें पृथ्वी जैसे ग्रहों पर दृष्टिकोण बनाने में मदद मिलेगी। यह जानना आसान होगा कि जब पृथ्वी गर्म हुआ करती थी, तब वह कैसी रही होगी।