भारत के ‘बाहुबली’ रॉकेट LVM3-M6 ने अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है।
Photo Credit: ISRO
भारत के हेवी-लिफ्ट रॉकेट ISRO के लिए आज का दिन खास रहा, जब Launch Vehicle Mark-3 (LVM3)-M6 मिशन ने अमेरिका के नेक्स्ट-जेन कम्युनिकेशन सैटेलाइट BlueBird-6 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा दिया। यह अब तक का सबसे भारी पेलोड है, जिसे किसी भारतीय लॉन्च व्हीकल ने ले जाकर रिकॉर्ड बनाया है। इस मिशन का मकसद आम स्मार्टफोन्स तक सीधे स्पेस से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना है, वो भी बिना किसी खास डिवाइस या हार्डवेयर के। LVM3-M6 की यह उड़ान भारत की कमर्शियल स्पेस कैपेबिलिटी को ग्लोबल लेवल पर और मजबूत करती है। चलिए इस अहम मिशन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
43.5 मीटर लंबे LVM3 रॉकेट ने सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी। यह स्पेसपोर्ट चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर है। रॉकेट को दो S200 सॉलिड बूस्टर्स का सपोर्ट मिला, जिससे यह भारी सैटेलाइट लेकर स्मूद तरीके से ऊपर उठा।
लॉन्च के करीब 15 मिनट बाद BlueBird Block-2 सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर लगभग 520 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने तय ऑर्बिट में पहुंच गया। इसे LVM3-M6 की एक सटीक और क्लीन इंजेक्शन माना जा रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के सेक्रेटरी और ISRO चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि यह भारतीय लॉन्चर से उड़ाया गया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है। उन्होंने इसे LVM3 की तीसरी पूरी तरह कमर्शियल मिशन बताते हुए कहा कि इस व्हीकल ने ग्लोबल लेवल पर अपनी भरोसेमंद परफॉर्मेंस एक बार फिर साबित की है।
BlueBird-6, US-बेस्ड AST SpaceMobile के BlueBird Block-2 सैटेलाइट्स का हिस्सा है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सीधे आम मोबाइल फोन्स तक स्पेस-बेस्ड सेलुलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दे सके। यह मिशन ISRO की कमर्शियल आर्म NSIL और AST SpaceMobile के बीच हुए समझौते का हिस्सा है।
ISRO ने लॉन्च से ठीक पहले 90 सेकंड की देरी की थी। दरअसल, रॉकेट के फ्लाइट पाथ में स्पेस डेब्रिस या किसी दूसरे सैटेलाइट के साथ टकराव की आशंका थी। इसी वजह से सेफ्टी के लिहाज से लॉन्च टाइम को 8:54 से बढ़ाकर 8:55:30 किया गया। ISRO के मुताबिक, आज के समय में बढ़ती सैटेलाइट भीड़ के चलते ऐसी देरी आम होती जा रही है।
LVM3 एक थ्री-स्टेज लॉन्च व्हीकल है, जिसमें दो सॉलिड मोटर्स, एक लिक्विड कोर स्टेज और क्रायोजेनिक अपर स्टेज शामिल हैं। इसका कुल वजन करीब 640 टन है और यह 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड GTO में ले जाने में सक्षम है। इससे पहले यह चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और OneWeb जैसे अहम मिशन भी सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुका है।
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