क्या एलियंस से जुड़ा कोई राज़ यूरोप की अल्पाइन (Alpine) पर्वत श्रृंखलाओं में छुपा है। एक रिसर्चर यही जानने में जुटी हैं। जियोलॉजिस्ट ‘कारा मैग्नाबोस्को' अल्पाइन पर्वत रेंज के गहरे इलाकों में जाकर ऐसी जगहों से पानी के सैंपल इकट्ठा कर रही हैं, जहां लाखों साल से दिन नहीं हुआ, यानी सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। सैंपल्स में ऐसे प्राचीन सूक्ष्मजीवों (microorganisms) की खोज की जा रही है, जो पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों से काफी अलग हैं।
स्पेसडॉटकॉम की
रिपोर्ट के अनुसार, धरती पर मौजूद हर जीव को जीने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन कारा जिन सूक्ष्मजीवों की पहचान कर रही हैं, उन्हें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती। वैज्ञानिकों का मानना है कि वे काफी हद तक उन जैसे दिख सकते हैं जो 3.5 अरब साल पहले हमारे ग्रह पर सबसे पहले उभरे थे। उस समय पृथ्वी के वायुमंडल में बहुत कम ऑक्सीजन थी।
कारा मैग्नाबोस्को को लगता है कि अल्पाइन पहाड़ों की नम घाटियों में पाए जाने वाले ये सूक्ष्मजीव हमारे सौर मंडल के अन्य ग्रहों पर
जीवन के बारे में जरूरी जानकारी दे सकते हैं। वैज्ञानिक मंगल ग्रह और शनि व बृहस्पति के बर्फ से ढके चंद्रमा को एक्सप्लोर कर सकते हैं। कारा कहती हैं कि हम यह समझना चाहते हैं कि अगर किसी ग्रह पर जीवन नहीं है, तो वहां क्या प्रोडक्ट्स हैं। मसलन, वहां पानी और पत्थरों के रिएक्शन से क्या होता है।
दिलचस्प यह है कि कारा ने जिस पानी में सूक्ष्मजीवों की तलाश की है, वह पानी पहली नजर में नल से बहने वाले पानी या बारिश के पानी जैसा दिखाई दे सकता है, लेकिन संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरणों से पता चला है कि वह वास्तव में बहुत अलग है। यह बहुत खारा है और जमीन के ऊपर मिलने वाले पानी की तुलना में इसमें कम ऑक्सीजन कम घुलती है। कारा ने जिस जगह से सैंपल जुटाए, वह एक टनल है। बेडरेटो नाम की टनल में दीवारों से टपकता पानी लाखों-करोड़ों साल पुराना है।
रिसर्चर जानना चाहती हैं कि धरती पर सबसे पहले पनपने वाले
जीव कहां से आए। क्या वह पृथ्वी की सतह के नीचे चले गए। क्या अन्य ग्रहों पर ऐसा कुछ हो सकता है। एलियंस की तलाश में यह रिसर्च भविष्य के लिए मददगार बन सकती है।