कम खर्च में COVID-19 टेस्ट, IIT दिल्ली के तरीके को ICMR की मंजूरी

कोरोना वायरस संक्रमण जांच के लिए अब तक हम चीन से आ रहे डिवाइस पर निर्भर थे, लेकिन हाल ही में उन डिवाइस में कुछ गड़बड़ी पाई गई जिसके बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ICMR ने उन किट्स पर रोक लगा दी है।

कम खर्च में COVID-19 टेस्ट, IIT दिल्ली के तरीके को ICMR की मंजूरी

ICMR ने IIT दिल्ली द्वारा बनाए गए इस डिवाइस को दी स्वीकृति

ख़ास बातें
  • अब कम खर्च में होगा कोविड-19 का टेस्ट
  • गुरुवार को ICMR ने की स्वीकृति
  • चीनी कोविड-19 टेस्ट किट में निकली थी गड़बड़ी
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भारत समेत पूरी दुनिया इस वक्त COVID-19 यानी कोरोना वायरस कहर से जूझ रही है। इस बीच सरकार के सामने कोरोना वायरस मरीज की तलाश करना और उन्हें क्वारंटाइन करके दूसरों से दूर रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण जांच के लिए अब-तक हम चीन से आ रहे डिवाइस पर निर्भर थे, लेकिन हाल ही में उन डिवाइस में कुछ गड़बड़ी पाई गई जिसके बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने उन किट्स पर रोक लगा दी है। इस बीच दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) ने एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। IIT दिल्ली ने कोविड-19 बीमारी की जांच करने के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है, जो कि चीनी डिवाइस से ज्यादा सस्ता और विश्वसनीय साबित हुआ है। गुरुवार को ICMR ने IIT दिल्ली द्वारा बनाए गए इस तरीके को अपनी स्वीकृति भी दे दी है।

आपको बता दें, IIT दिल्ली द्वारा विकसित किए गए इस तरीके से बेहद ही कम खर्च में COVID-19 संक्रमण की जांच की जा सकेगी। जिससे बड़ी संख्या में भारतीयों को इससे फायदा होगा। आईआईटी दिल्ली पहला ऐसा अकादमिक संस्थान है, जिसे ‘पॉलीमराइज चेन रिएक्शन (पीसीआर)' द्वारा विकसित किए जांच के तरीके को ICMR ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है।

एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस तरीके को ICMR में परखा गया और रिजल्ट 100 प्रतिशत सही साबित हुए। इसी प्रकार आईआईटी-दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान बना जिसके द्वारा पीसीआर विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है।

उन्होंने कहा, “कोविड-19 के लिए यह पहला प्रोब मुक्त तरीका है जिसे आईसीएमआर ने स्वीकृति दी है। हमें इससे कम खर्च में जांच करने में सहायता मिलेगी। इस तरीके में फ्लोरेसेंट प्रोब की आवश्यकता नहीं है इसलिए इससे बड़े स्तर पर जांच की जा सकती है। अनुसंधानकर्ताओं का दल उद्योग जगत से बातचीत कर जल्दी से जल्दी इस उपकरण को कम दाम पर उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।”

आईआईटी-दिल्ली में अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 और सार्स सीओवी-2 के जीनोम के आरएनए (रिबो न्यूक्लिक एसिड) अनुक्रम का तुलनात्मक विश्लेषण कर यह तरीका विकसित किया है। आरएनए मनुष्य समेत सभी जीव जंतुओं की कोशिका का अभिन्न अंग होता है और यह प्रोटीन संश्लेषण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। अनुसंधानकर्ताओं के दल के मुख्य सदस्यों में से एक प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “अनुक्रम के तुलनात्मक विश्लेषण का इस्तेमाल कर हमने कोविड-19 में कुछ विशेष क्षेत्र चिह्नित किए जो मनुष्यों में मौजूद किसी अन्य कोरोना वायरस में नहीं होते। इससे हमें विशेष रूप से कोविड-19 का पता लगाने का तरीका मिला।”

आईआईटी के अनुसंधानकर्ताओं के दल का दावा है कि उनके द्वारा विकसित किया गया जांच का तरीका बेहद कम खर्च में आम जनता के लिए उपब्ध हो सकता है। अनुसंधानकर्ताओं के दल में पीएचडी शोधार्थी प्रशांत प्रधान, आशुतोष पांडेय और प्रवीण त्रिपाठी शामिल हैं। दल के अन्य सदस्यों में पोस्ट डाक्टरल शोधार्थी डॉ पारुल गुप्ता, और डॉ अखिलेश मिश्रा हैं। इसके अलावा दल के वरिष्ठ सदस्यों में प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल, मनोज बी मेनन, जेम्स गोम्स और विश्वजीत कुंडू शामिल हैं।
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