अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी
नासा (Nasa) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने एक क्वासर (quasar) से पैदा होने वाली रोशनी को कैप्चर किया है। इसे
आइंस्टीन रिंग के रूप में जाना जाता है। क्वासर का नाम RX J1131-1231 है जो हमारी पृथ्वी से लगभग 6 अरब प्रकाश वर्ष दूर क्रेटर तारामंडल (Crater) में स्थित है। आइंस्टीन रिंग की खूबी इसके चार चमकीले धब्बे हैं। गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक घटना की वजह से धब्बे नजर आते हैं।
खबर पर आगे बढ़ें, उससे पहले क्वासर क्या होता है, यह जानना जरूरी है। क्वासर एक एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लिआई (AGNs) का सबक्लास है। यह बहुत चमकदार गैलेक्टिक कोर हैं जहां गैस और धूल एक ब्लैक होल में गिरने से इस तरह की रोशनी उभरती है।
बात करें गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग की तो यह तब होती है जब किसी दूर की चीज जैसे क्वासर से आने वाली रोशनी स्पेस-टाइम से गुजरती है। इस दौरान रोशनी चारों तरफ मुड़ जाती है और रिंग जैसी आकृति नजर आती है।
क्वासर RX J1131-1231 एक युवा आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल है। यह बहुत ज्यादा पदार्थ यानी मैटर को खाते समय पावरफुल एनर्जी उत्सर्जित करता है। इस क्वासर की रोशनी के लिए गुरुत्वाकर्षण लेंस का काम एक अनाम आकाशगंगा का लेंस कर रहा है। वह इस रिंग के बीच नीले पॉइंट के रूप में दिखाई देता है।
लेंसिंग की वजह से क्वासर की रोशनी बड़ी होती है। रिपीट भी होती है। इस वजह से चार चमकीले धब्बे नजर आते हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी का कहना है कि ये चमकीले धब्बे असर में लेंसिंग की वजह से बने एक चमकीले धब्बे की मिरर इमेजेज हैं।
आइंस्टीन रिंग जैसी इमेजेज वैज्ञानिकों की रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण हैं। सुदूर ब्रह्मांड में क्या कुछ है और वह कैसा हो सकता है, इसकी एक झलक आइंस्टीन रिंग से मिलती है। गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के कॉन्सेप्ट को सबसे पहले अलबर्ट आइंस्टीन ने अनुमानित किया था।