जलवायु परिवर्तन (Climate Change) मृत्यु दर को तेजी से बढ़ा रहा है। यह हम नहीं, बल्कि The Lancet Planetary Health जर्नल में पब्लिश एक मॉडलिंग स्टडी कह रही है। इस स्टडी के जरिए एक्सपर्ट ने पता लगाया है कि जलवायु परिवर्तन सदी के अंत तक भीषण गर्मी के कारण मृत्यु दर को छह गुना बढ़ा सकता है। यह बात दुनिया से छिपी नहीं है कि भारत सहित दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज के चलते मौसम में बहुत बदलाव देखे जा रहें हैं। मीडिया रिपोर्ट्स अकसर यह जानकारी देती रहती है कि अंटार्टिका में बर्फ सामान्य रफ्तार से तेज पिघल रही है, जिससे समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है।
The Lancet Planetary Health में पब्लिश लेटेस्ट
स्टडी कहती है कि अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने नोट किया कि रात के दौरान गर्मी नींद के सामान्य स्लीप साइकिल को बाधित कर सकती है। रिसर्चर्स का कहना है कि कम नींद से इम्यून सिस्टम को नुकसान हो सकता है और हृदय रोग, क्रॉनिक बीमारियों, सूजन और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का खतरा बढ़ सकता है।
PTI के
अनुसार, स्टडी में पाया गया कि 2090 तक पूर्वी एशिया के 28 शहरों में गर्म रात की घटनाओं की औसत तीव्रता 20.4 डिग्री सेल्सियस से 39.7 डिग्री सेल्सियस तक लगभग दोगुनी हो जाएगी, जिससे सामान्य नींद को बाधित करने वाली अत्यधिक गर्मी के कारण बीमारी का बोझ बढ़ जाएगा।
स्टडी के परिणाम बताते हैं कि औसत दैनिक तापमान में बढ़ोतरी के अनुमान से मृत्यु दर का बोझ काफी अधिक हो सकता है। परिणाम बताते हैं कि पेरिस जलवायु समझौते के प्रतिबंधों के बावजूत भी जलवायु परिवर्तन से वार्मिंग एक परेशानी बन सकती है। इस समझौते का उद्देश्य पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक सीमित करना है।
उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के एक जलवायु वैज्ञानिक, अध्ययन के सह-लेखक युकियांग झांग ने कहा, "रात में बढ़ते तापमान के जोखिमों को अक्सर उपेक्षित किया जाता था। हालांकि, हमारी स्टडी में, हमने पाया कि हॉट नाइट एक्सेस (HNE) की घटनाएं दैनिक औसत तापमान परिवर्तन की तुलना में अधिक तेजी से होने का अनुमान है।"
रिसर्चर्स ने 1980 और 2015 के बीच चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के 28 शहरों में अत्यधिक गर्मी के कारण मृत्यु दर का अनुमान लगाया और इसे दो जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग परिदृश्यों पर लागू किया, जो संबंधित राष्ट्रीय सरकारों द्वारा अनुकूलित कार्बन-रिडक्शन परिदृश्यों के साथ संरेखित थे। टीम यह अनुमान लगाने में सक्षम थी कि 2016 और 2100 के बीच, अत्यधिक गर्म रातों से मृत्यु का जोखिम लगभग छह गुना बढ़ जाएगा। यह भविष्यवाणी जलवायु परिवर्तन मॉडल द्वारा सुझाए गए दैनिक औसत वार्मिंग से होने वाली मृत्यु दर के जोखिम से बहुत अधिक है।