आने वाले वक्त में देश में 5G फोन्स की कमी हो सकती है। यह चेतावनी टेलिकॉम ऑपरेटर्स- Airtel, Jio और Vi (वोडाफोन-आइडिया) ने दी है। इसकी वजह वह फैसला है, जो अगले साल जनवरी से लागू हो सकता है। इसके बाद देश में किसी भी 5G स्मार्टफोन को मार्केट में उतारने से पहले उसकी लोकल टेस्टिंग की जाएगी और फोन के लिए सर्टिफिकेशन लेना होगा। टेलिकॉम प्रोवाइडर्स का कहना है कि ऐसा करने से डेटा की खपत पर असर पड़ेगा और मार्केट में नए स्मार्टफोन्स की पहुंच सीमित हो जाएगी।
इकॉनमिक टाइम्स की
रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार विभाग (DoT) ने 1 जनवरी 2023 से 5G फोन को 'टेलीकॉम इक्विपमेंट के अनिवार्य परीक्षण और सर्टिफिकेशन (MTCTE)' नियंत्रण के फेज-5 के तहत लाने का फैसला किया है। टेलिकॉम ऑपरेटर्स का कहना है कि सरकार के इस कदम से देश को मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल बेस बनाने की उसकी महत्वाकांक्षा में रुकावट आएगी।
Airtel, Jio और Vi (वोडाफोन-आइडिया) ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि उसके इस कदम से मार्केट में 5G फोन्स की कमी हो जाएगी। यूजर्स लेटेस्ट टेक्नॉलजी से लैस 5G डिवाइसेज नहीं खरीद पाएंगे। इन ऑपरेटर्स ने सरकार से फैसले को वापस लेने के लिए कहा है। ऑपरेटर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलिकॉम सेक्रटेरी के. राजारमन को लिखे एक लेटर में अनुरोध किया है कि MTCTE सर्टिफिकेशन से जुड़े उन सभी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए, जो कंस्यूमर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स से जुड़े हैं।
गौरतलब है कि COAI- Jio, Airtel और Vi जैसे ऑपरेटर्स के साथ ही Apple, Google, Ericsson, Huawei, Nokia और अन्य ग्लोबल कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इन्होंने दूरसंचार विभाग से अनुरोध किया है कि वह मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में दखल ना दे और यह काम ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्रियल स्टैंडर्ड्स (BIS) और IT व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय (MeitY) के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत ही होने दे।
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि MTCTE की प्रक्रिया में काफी समय खर्च होगा। इससे OEM की परेशानी बढ़ेगी। मार्केट में उनकी पहुंच पर असर होगा और डिवाइसेज लॉन्च करने में देरी का बोझ पड़ेगा। इंडस्ट्री से जुड़े एक सीनियर एग्जीक्यूटिव ने कहा कि इस फैसले से इंडस्ट्री में बेचैनी और अनिश्चितता है, क्योंकि 5G स्मार्टफोन की उपलब्धता में आने वाली किसी भी परेशानी से देश में 5G सर्विसेज को अपनाने की स्पीड कम हो जाएगी। यह ओवरऑल डेटा खपत को भी कम कर देगा।