OTT प्लेटफॉर्म और डिज़िटल कंटेंट पर लगाम कसने के लिए भारत सरकार ने नए नियम और कानून बनाए हैं। सरकार का कहना है कि यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भारत में बिजनेस करना चाहते हैं, तो उन्हें इन नियम और कानूनों का पालन करना होगा। कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो साफ शब्दों में कह दिया है कि सोशल मीडिया भारत में बिजनेस कर सकते हैं, लेकिन उनका डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नई गाइडलाइन्स का लागू होना जरूरी है। आज के समय में बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, हर वर्ग के अरबों लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में कई गलत एलिमेट्स इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर लोगों पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
भारत सरकार द्वारा नए नियम कानून केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए नहीं बने हैं, बल्कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर भी लगाम कसने की कोशिश की गई है। कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रैस कॉन्फ्रेंस के जरिए इन
सभी नियमों और कानूनों की जानकरी साझा की है। अब क्योंकि गाइडलाइन्स कई बार समझने में पेचिदा हो जाती हैं। इसलिए हम यहां आपको ये सभी गाइडलाइन्स आसान भाषा में बता रहे हैं।
New guidelines for Social Media, OTT platforms
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपना एक ग्रीवांस मेकेनिज़्म बनाना होगा और 15 दिनों के भीतर समस्याओं को एड्रेस करना होगा। इसके अलावा कंपनियों को बताते रहना होगा कि कितनी शिकायतें आ रही हैं और उन्हें किस प्रकार सुलझाया गया है। खुराफात किसने की है, उसकी जानकारी भी साझा करनी होगी।
यदि खुराफात भारत के बाहर से हुई है, तो ये भी बताना होगा कि इसकी शुरुआत किसने की।
सोशल मीडिया कंपनियों को आदेश है कि किसी भी आपत्तिजनक कटेंट को उन्हें 24 घंटे के भीतर हटाना होगा और इसके बाद हर महीने आई कुल शिकायतों के निपटारे की जानकारी भी देनी होगी।
अफवाह किसने फैलाई है, सोशल मीडिया कंपनी सरकार से इसकी जानकारी भी साझा करेगी। सरकार ने भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशी संबंध और रेप जैसे मामलों में उड़ाए जाने वाली अफवाहों पर कड़ा रुख रखा है।
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ग्रीवांस के लिए खास अफसरों की तैनाती करनी होगी। कंपनियों को नोडल ऑफिसर के साथ-साथ रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर की तैनाती भी करनी होगी।
यदि डिज़िटल प्लेटफॉर्म से कोई गलती होती है, तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही इन प्लेटफॉर्म्स को भी गलती पर माफीनामा पब्लिश करना होगा।
ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिज़िटल मीडिया को आदेश है कि उन्हें अपने काम की जानकारी सरकार से साझा करनी होगी। इसमें उनके कंटेंट तैयार करने का तरीका भी शामिल होगा।
कंपनियों को सेल्फ रेगुलेशन लागू करना होगा, जिसके लिए एक बॉडी भी स्थापित होगी। इस बॉडी को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई अन्य व्यक्ति हेड करेगा।
बता दें कि ये सभी नियम और कानून अगले तीन महीने में लागू होंगे।