Apple ने भारत के ऐप्स मार्केट में दबदबा रखने से इनकार किया, Google को बड़ा खिलाड़ी बताया

CCI ने ऐप डिवेलपर्स को Apple का प्रॉपराइटरी सिस्टम इस्तमाल करने के मजबूर करने के आरोप की जांच शुरू की थी। यह प्रॉपराइटरी सिस्टम ऐप में खरीदारी के लिए 30 प्रतिशत तक कमीशन लेता है

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अपडेटेड: 20 दिसंबर 2021 14:39 IST
ख़ास बातें
  • Apple ने कहा है कि उसकी मार्केट में हिस्सेदारी बहुत कम है
  • Apple ने इस मार्केट में Google का दबदबा बताया है
  • अधिकतर स्मार्टफोन्स में गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम है

CCI इन आरोपों पर Apple के जवाब की समीक्षा करेगा। इसके बाद वह आगे की जांच का आदेश दे सकता है

आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी Apple ने भारत में ऐप्स मार्केट में पावर का गलत इस्तेमाल करने के आरोप से इनकार किया है। कंपनी का कहना है कि इस मार्केट में उसकी हिस्सेदारी बहुत कम है और इसमें Google का दबदबा है। Apple ने कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) से उसके खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने का निवेदन किया है।

Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, CCI ने ऐप डिवेलपर्स को Apple का प्रॉपराइटरी सिस्टम इस्तमाल करने के मजबूर करने के आरोप की जांच शुरू की थी। यह प्रॉपराइटरी सिस्टम ऐप में खरीदारी के लिए 30 प्रतिशत तक कमीशन लेता है। Apple ने CCI को दी अपनी फाइलिंग में कहा है कि भारत में उसका मार्केट शेयर 0-5 प्रतिशत का है, जो बहुत कम है। इस मार्केट में गूगल का 90-100 प्रतिशत तक कब्जा है क्योंकि अधिकतर स्मार्टफोन्स में गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम होता है। Apple ने फाइलिंग में बताया है, "कंपनी का भारतीय मार्केट में दबदबा नहीं है। दबदबे के बिना गलत इस्तेमाल नहीं हो सकता। यह पहले ही तय हो चुका है कि भारतीय मार्केट में गूगल एक बड़ा खिलाड़ी है।"

इस बारे में Apple और CCI ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गूगल को चलाने वाली Alphabet के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। इस मामले में "Together We Fight Society" कहे जाने वाले गैर-लाभकारी समूह ने शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि Apple अपने iOS के साथ गैर-लाइसेंस वाले मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम्स के मार्केट में दबदबा रखती है। हालांकि, Apple ने अपनी फाइलिंग में कहा कि एंड्रॉयड जैसे लाइसेंस वाले सिस्टम्स सहित पूरे स्मार्टफोन मार्केट को इसमें शामिल करना चाहिए। कंपनी ने इस शिकायत को "प्रॉक्सी फाइलिंग" भी बताया है। Apple का कहना है कि यह शिकायत उन पार्टीज के साथ मिलकर की गई लग रही है जिनके साथ Apple के दुनिया भर में कमर्शियल और कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े विवाद चल रहे या जिन्होंने अन्य रेगुलेटर्स को शिकायत की है।

कंपनी ने अपने दावे की मजबूती के लिए कोई प्रमाण नहीं दिया है। CCI इन आरोपों पर Apple के जवाब की समीक्षा करेगा। इसके बाद वह आगे की जांच का आदेश दे सकता है या इस मामले को खारिज भी किया जा सकता है।
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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