स्मार्टफोन और टैबलेट अब इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इनके बिना इंसान को जिंदगी अब अधूरी लगने लगी है। जिसका फायदा स्मार्टफोन और टैबलेट बनाने वाली कंपनियां भी खूब उठा रही हैं। इन डिवाइसेस के साथ अब कंपनियां चार्जर भी अलग से बेचने लगी हैं। इतना ही नहीं, स्मार्टफोन और टैबलेट का चार्जर भी अलग होता है। ऐसे में अब एक सर्वे सामने आया है जिसमें लोगों का कहना है कि स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए एक ही चार्जर होना चाहिए। लोगों ने भारत के द्वारा कॉमन चार्जर पॉलिसी अपनाए जाने के कदम का भी समर्थन किया है। आइए जानते हैं क्या कहता है ये सर्वे।
Local Circles की ओर से एक सर्वे किया गया है जो
स्मार्टफोन और
टैबलेट के साथ मिलने वाले अलग-अलग चार्जर के बारे में लोगों की राय सामने रखता है। सर्वे में सामने आया है कि 10 में से 9 लोग इस बात के पक्ष में हैं कि स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए एक जैसा चार्जर उपलब्ध होना चाहिए। वहीं, 10 में से 7 लोगों का कहना है अलग-अलग डिवाइसेस के लिए अलग-अलग चार्जर बनाकर कंपनियां ज्यादा एक्सेसरी बेचने की कोशिश कर रही हैं।
यूरोपियन यूनियन ने हाल ही में कंज्यूमर अफेयर कमिटी की सिफारिशों को अपनाया है जिसमें 2025 तक यूरोप में कॉमन चार्जर पॉलिसी को अपना लिया जाएगा। अब भारत भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस सिफारिश को अपनाए जाने पर विचार कर रहा है। लोकल सर्कल के सर्वे में लोगों ने भी इस बात का समर्थन किया है कि भारत का यह कदम सही दिशा में है। ऐसा होना चाहिए, और स्मार्टफोन तथा टैबलेट के लिए कॉमन चार्जर लागू होना चाहिए।
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की ओर से मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (
MEITY) को यह सिफारिश भेजी गई है। इससे पहले कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री ने घोषणा की थी कि मोबाइल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों को भारत में 2025 तक यूएसबी टाइप सी (USB Type-C) को स्टैंडर्ड चार्जिंग पोर्ट के रूप में अपनाना होगा। यानि कि भारत में बनने वाले हर स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए कंपनियों को USB Type-C चार्जिंग पोर्ट उपलब्ध करवाना होगा।
कॉमन चार्जर लागू करने के इस कदम का मकसद प्रति घर चार्जरों की संख्या को कम करना बताया गया है ताकि ई-वेस्ट (e-waste) या ई-कचरा कम से कम पैदा हो सके। 28 दिसंबर 2024 तक यूरोप ने स्मार्टफोन्स के लिए, iPhone समेत, आदेश जारी कर दिया है कि कंपनियां कॉमन यूएसबी टाइप सी चार्जर के साथ डिवाइसेज उपलब्ध करवाएं। लैपटॉप के लिए यह समय सीमा 2026 तक रखी गई है।
Android स्मार्टफोन जहां 98% तक USB Type-C के साथ आ रहे हैं, iPhone में अभी कंपनी द्वारा लाइटनिंग पोर्ट दिया जा रहा है। LocalCircles ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसे यूजर्स की ओर से लगातार यह फीडबैक मिल रहा था कि चार्जर के लिए स्टैंडर्ड पॉलिसी लागू की जानी चाहिए। क्योंकि चार्जरों के रेट बहुत ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं। जिसके चलते लोग जेनरिक या लोकल चार्जर और चार्जिंग केबल खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं।
लोकल या जेनरिक चार्जर के साथ यह खतरा बताया गया है कि ये अक्सर आग लगने का कारण बनते हैं या फिर फोन में ब्लास्ट का कारण बनते हैं। इससे यूजर्स घायल भी हो सकते हैं। इसी फीडबैक के आधार पर LocalCircles ने देशभर से यह सर्वे पेश किया है। सर्वे में 303 जिलों के 23,000 लोगों ने भाग लिया है। इनमें से 64% पुरुष बताए गए हैं, जबकि 43% संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया है।