तमाम मीडिया रिपोर्टों में यह बताया जा रहा है कि सरकार ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर्स को नए व्हीकल्स लॉन्च करने से रोक दिया है, जब तक कुछ व्हीकल्स में आग लगने की घटनाओं की जांच पूरी नहीं हो जाती। हालांकि यह खबर झूठी साबित होती हुई दिखाई दे रही है। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) फेक्ट चेक ने इस खबर को फेक बताया है और ट्विटर पर भी यह जानकारी शेयर की है। PIB फेक्ट चैक के ट्विटर हैंडल से बताया गया है कि रिपोर्ट में जो लिखा गया है, वह पूरी तरह से फेक है।
मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया था कि EV मैन्युफैक्चरर्स को मौखिक रूप से नए व्हीकल्स को लॉन्च करने से मना कर दिया गया है, जब तक आग के कारणों के बारे में स्पष्टता सामने नहीं आती और इसे रोकने के लिए जरूरी कदमों को मजबूत नहीं किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर मेकर्स को व्हीकल्स का पूरे बैच स्वेच्छा से वापस बुलाने के लिए कहा गया है, अगर उस बैच में से कोई एक आग की घटना में शामिल था। अधिकारी के हवाले से लिखा गया था कि ज्यादातक कंपनियों ने यह प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। रिपोर्ट में बताया गया था कि ओला, ओकिनावा और प्योर ईवी जैसे ब्रैंड्स ने कथित तौर पर अपने 7,000 ई टू व्हीलर्स को रिकॉल किया है।
रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि हालिया मीटिंग में ईवी मैन्युफैक्चरर्स को मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों की याद भी दिलाई गई, जिसके जरिए केंद्र सरकार फोर्सफुल रिकॉल का आदेश दे सकती है और गलत मैन्युफैक्चरर्स पर जुर्माना भी लगा सकती है। सरकार के अधिकारी ने बताया है कि जिन मैन्युफैक्चरर्स के व्हीकल्स के साथ अभी तक आग लगने की घटना नहीं हुई है, उन्हें भी व्हीकल्स में सुधार की कार्रवाई करने को कहा गया है। मंत्रालय ने ईवी निर्माताओं से कहा है कि वो कंस्यूमर्स को चार्जिंग सेफ्टी और आग की घटनाओं को रोकने के तरीकों के बारे में बताएं।
वैसे, इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स में आग लगने की घटनाओं में कई लोगों की जान गई है। ज्यादातर मामले में महाराष्ट्र और साउथ इंडिया के इलाकों में रिपोर्ट हुए हैं। इनमें सबसे चर्चित मामला ओला इलेक्ट्रिक के स्कूटर में आग लगने का था, जो पुणे में रिपोर्ट हुआ था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था।