इलेक्ट्रिक पैसेंजर वीकल्स की देश में बिक्री, कुल पैसेंजर गाडि़यों की बिक्री का एक प्रतिशत से भी कम है, इसके बावजूद इलेक्ट्रिक वीकल्स का सेग्मेंट लोगों में दिलचस्पी बढ़ा रहा है। केंद्र सरकार भी इसको लेकर काफी एक्टिव है और कुछ दिन पहले ही परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक कार्यक्रम में कह चुके हैं कि अगले दो साल में पेट्रोल और इलेक्ट्रिक गाडि़यों की कीमत बराबर होगी। ये सभी वजहें लोगों का झुकाव इलेक्ट्रिक वीकल्स की तरफ बढ़ा रही हैं। मौजूदा फाइनैंशल ईयर की पहली छमाही के लिए इंडस्ट्री के डेटा बताते हैं कि अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान कुल 6,261 इलेक्ट्रिक पैसेंजर वीकल (PV) बेचे गए, जिसने 234 प्रतिशत की साल-दर-साल (YoY) ग्रोथ दर्ज की है।
आंकड़ों पर नजर डालें, तो इस फाइनैंशल ईयर की पहली छमाही में बेचे गए कुल 13 लाख 87 हजार 714 पैसेंजर वीकल्स में इलेक्ट्रिक PVs की भागीदारी सिर्फ 0.45 प्रतिशत रही, लेकिन अहम बात यह है कि इस साल पहले छह महीनों 6,251 इलेक्ट्रिक PV बेचे गए, जबकि पिछले पूरे साल में 5,905 इलेक्ट्रिक PV बेचे गए थे। इस हिसाब से आंकड़े उत्साह बढ़ाने वाले हैं।
इलेक्ट्रिक PV के मामले में टाटा मोटर्स ने बड़ी लीड है। अप्रैल से सितंबर 2021 के बीच कंपनी ने 4419 यूनिट्स की बिक्री की, जो इस साल की पहली छमाही में हुई कुल इलेक्ट्रिक पैसेंजर वीकल्स की बिक्री का 70.57 प्रतिशत है। टाटा की Nexon EV 3618 यूनिट्स के साथ देश में सबसे अधिक बिकने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी है और मार्केट में 58 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा जमा चुकी है। Tigor EV की 801 यूनिट्स इस दौरान बिकी हैं और मार्केट में उसका शेयर 13 प्रतिशत है और इलेक्ट्रिक वीकल्स के चार्ट में यह कार तीसरे नंबर पर है।
यही नहीं, टाटा मोटर्स के तीन इलेक्ट्रिक वीकल मॉडल - नेक्सॉन, टिगोर और Xpres T EV ने अक्टूबर में भी अच्छी सेल की है और 1,586 यूनिट्स बेच डाली हैं। इस तरह अप्रैल से अक्टूबर तक कंपनी ने 6,005 यूनिट्स बेची हैं और माना जा रहा है कि कंपनी इस फाइनैंशनल ईयर में नया रेकॉर्ड बनाते हुए पहली बार 10 हजार इलेक्ट्रिक वीकल्स की सेल्स के आंकड़े को पार कर सकती है।
इलेक्ट्रिक वीकल्स की बिक्री के मामले में MG ZS EV दूसरे नंबर पर है। इस साल के पहले 6 महीनों में इसने 1789 यूनिट्स बेची हैं और 29 फीसदी मार्केट शेयर पर कब्जा जमाया है। ह्यूंदे मोटर इंडिया, जिसने जुलाई 2019 में Kona EV के साथ भारत के इलेक्ट्रिक वीकल मार्केट में रेस शुरू की थी, वह पिछड़ गई है। इसकी वजह कार के मॉडल को माना जा रहा है, तो उतना खास नजर नहीं आता और कीमत भी ज्यादा है।