भारतीय GMPCS (सैटेलाइट ब्रॉडबैंड) लाइसेंस के लिए स्टारलिंक (Starlink) का आवेदन अप्रूवल की एक और सीढ़ी ऊपर चढ़ता नजर आ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एलन मस्क (Elon Musk) की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर कंपनी "सैद्धांतिक रूप से" भारत के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार सैटेलाइट ऑपरेटरों को स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने और खुफिया एजेंसियों के लिए संभावित डेटा एक्सेस को सक्षम करने की आवश्यकता होती है। दूरसंचार विभाग (DoT) से लाइसेंस हासिल करने के लिए ये सबसे जरूरी शर्तें हैं।
मनीकंट्रोल की
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि स्टारलिंक ने DoT की अहम शर्तों को मान लिया है, जिसके चलते उसकी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कनेक्शन सर्विस को लॉन्च करने का रास्ता कथित तौर पर अब साफ होता नजर आ रहा है। पब्लिकेशन को बताया गया है कि एलन मस्क की कंपनी सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है, जिसके बाद अब
स्टारलिंक का भारत लाइसेंस आवेदन एक कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
पब्लिकेशन को बताया गया है कि इसके पीछे का मुख्य कारण एलन मस्क का इस साल के अमेरिकी चुनावों पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। बता दें कि एलन मस्क ने इस साल जोर-शोर से डॉनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का प्रचार किया और खुलकर उन्हें सपोर्ट किया। हालांकि, स्टारलिंक ने अभी तक शर्तों को पूरा करने पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
जैसा कि हमने बताया, DoT के अहम दिशानिर्देश कहते हैं कि भारत में काम करने वाली एक सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को सभी डेटा को देश के अंदर ही स्टोर करना होता है। इसके अलावा, डेटा को जरूरत पड़ने पर सुरक्षा एजेंसियों के साथ शेयर करना भी अनिवार्य है।
ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज (GMPCS) लाइसेंस मामूली आवेदन शुल्क पर ट्रायल स्पेक्ट्रम प्राप्त करके सैटेलाइट इंटरनेट स्थापित करने की दिशा में पहला कदम है। रिपोर्ट बताती है कि स्टारलिंक को यह दिखाने की आवश्यकता हो सकती है कि जरूरत पड़ने पर खुफिया एजेंसियां डेटा को कैसे इंटरसेप्ट कर सकती हैं।