बदलती टेक्नॉलजी के साथ लोग ऐसे ऑप्शन तलाश रहे हैं, जो उन्हें ज्यादा सुविधा दे। कुछ ऐसा ही कारों के मामले में भी है। सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड कारें जो इंटरनल दहन (combustion) इंजन और बैटरी दोनों पर काम करती हैं, उन्होंने बिक्री के मामले में डीजल कारों को पीछे छोड़ दिया है। ये रिकॉर्ड बना है यूरोप में, जहां पहली बार ऐसा हुआ है। डेटा बताता है कि डीजल कारों के मुकाबले 48 सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड कारें ज्यादा बिकीं। यह गैप भले ही ज्यादा नहीं हैं, लेकिन इसने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों के प्रति लोगों के क्रेज को सामने रखा है।
रॉयटर्स के मुताबिक, यूरोपियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2021 में यूरोपियन यूनियन में कुल 19 लाख 1 हजार 239 सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड कारों का रजिस्ट्रेशन किया गया। यह 2020 में रजिस्टर्ड 1.1 मिलियन से एक महत्वपूर्ण छलांग है।
वहीं, डीजल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 2015 में डीजलगेट घोटाले के बाद से चरमरा गया है। साल 2020 के 2.77 मिलियन से एक तिहाई गिरकर यह 19 लाख 1 हजार 191 हो गया।
इसी तरह, बिक्री के मामले में हर 11 कार में से एक बैटरी-इलेक्ट्रिक थी और कुल 880,000 बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल हुई।
सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड कारों में आंतरिक दहन इंजन द्वारा चार्ज की गई एक बैटरी होती है और आम तौर पर इलेक्ट्रिक पावर की मदद से एक लिमिटेड डिस्टेस कर सकती है।
प्लग-इन हाइब्रिड मुख्य रूप से बाहर चार्ज की गई बैटरी से पावर्ड होते हैं। इन्हें पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल माना जाता है, लेकिन इन्हें आंतरिक दहन इंजन का भी सपोर्ट होता है। इसके मुकाबले बैटरी-इलेक्ट्रिक कारें सिर्फ बैटरी पर चलती हैं।
कम या जीरो उत्सर्जन वाली गाड़ियों के लिए सरकार की सब्सिडी प्रभावी रही। साल 2020 में इसने प्लग-इन हाइब्रिड और बैटरी-इलेक्ट्रिक गाड़ियों की सेल को एक मिलियन के पार पहुंचा दिया।
प्लग-इन हाइब्रिड को कार मेकर पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों में ट्रांजिशन की तकनीक के रूप में देखते हैं। लेकिन एनवायरनमेंटल ग्रुप्स की ओर से उनकी आलोचना की गई है, क्योंकि स्टडी से पता चला है कि ड्राइवर आंतरिक दहन इंजन पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इससे गाड़ियां अधिक कार्बन उत्सर्जन करती हैं।
वहीं, पेट्रोल सबसे कॉमन ईंधन रहा, लेकिन 2020 के मुकाबले 2021 में पेट्रोल कारों के रजिस्ट्रेशन में कमी आई।