नेट न्यूट्रैलिटी मुद्दे पर गठित सरकारी पैनल ने मैसेजिंग/ इंटरनेट कॉलिंग ऐप्स जैसे कि स्काइप (Skype), व्हाट्सऐप (Whatsapp) और वाइबर (Viber) से किए जाने वाले घरेलू (डोमेस्टिक) कॉल को उसी तरह रेगुलेट करने की सिफारिश की है, जैसा टेलीकॉम कंपनियों के फोन कॉल सर्विसेज के साथ होता है।
पैनल ने फेसबुक (Facebook) के Internet.org की प्लेटफॉर्म को गलत बताया है। इस प्लेटफॉर्म पर बिना किसी डेटा चार्ज के कुछ वेबसाइट को एक्सेस किया जा सकता है। हालांकि, पैनल का यह भी मानना है कि एयरटेल जीरो (Airtel Zero) प्लेटफॉर्म को ट्राई (TRAI) से पूर्व मंजूरी मिलने के बाद काम करने की इजाजत दी जा सकती है।
आपको बता दें कि टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नेट न्यूट्रैलिटी पर विवाद खड़ा होने के बाद दूरसंचार विभाग को इस संबंध में पैनल बनाकर इस मसले पर सिफारिश देने के निर्देश दिए थे।
इस पैनल ने सिफारिश की है कि इंटरनेट कॉलिंग ऐप्स से किए जाने वाले इंटरनेशनल कॉल के लिए थोड़ी नरमी दिखाई जा सकती है, पर घरेलू कॉल के लिए नहीं। घरेलू कॉल को उसी तरह रेगुलेट किया जाए, जैसा किसी टेलीकॉम कंपनी की कॉलिंग सर्विसेज के साथ होता है।
आपको बता दें कि भारत में नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर हंगामा तब मचा, जब टेलीकॉम कंपनी एयरटेल (Airtel) ने Airtel Zero प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। इस प्लेटफॉर्म पर कुछ वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए कोई मोबाइल डेटा चार्ज नहीं लगता। हालांकि, इस प्लेटफॉर्म का हिस्सा बनने के लिए Airtel ने कंपनियों से पैसे लिए थे।
नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि इंटरनेट ट्रैफिक पर हर वेबसाइट या कंटेंट को बराबर तवज्जो मिलना। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने नेटवर्क पर जानबूझकर किसी वेबसाइट या फिर किसी वेब कंटेंट को ब्लॉक या धीमा नहीं करना चाहिए। खासकर ऐसी परिस्थिति में जब उसका मकसद अपनी किसी और सर्विसेज को फायदा पहुंचाना हो।
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