देश का पहला ह्युमन स्पेस फ्लाइट मिशन, गगनयान 2024 में लॉन्च होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने इस स्पेस फ्लाइट को पिछले वर्ष लॉन्च करने की योजना बनाई थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टालना पड़ा था। पहली टेस्ट फ्लाइट के बाद एक महिला जैसे दिखने वाले स्पेसफेरिंग ह्युमनॉइड रोबोट को बाहरी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह के हवाले से बताया गया है कि देश का पहला ह्युमन स्पेस फ्लाइट मिशन 2024 में लॉन्च होने की संभावना है। भारतीय वायु सेना ने इस स्पेस फ्लाइट
मिशन के लिए चार फाइटर पायलट्स का क्रू के तौर पर चयन किया है। इन्हें रूस में ट्रेनिंग मिली है। स्पेसक्राफ्ट को 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च करने की योजना है। इस दौरान अंतरिक्ष वैज्ञानिक एक एबॉर्ट की स्थिति की तैयारी करेंगे। इससे क्रू कैप्सूल की पैराशूट्स के इस्तेमाल से धरती पर वापसी को पक्का किया जाएगा। दूसरी ऑर्बिटल टेस्ट फ्लाइट से गगनयान का क्रू कैप्सूल अधिक ऊंचाई पर जाएगा। इसके बाद समान एबॉर्ट स्थिति होगी जिससे सिस्टम को सटीक बनाया जाएगा।
हाल ही में ISRO ने एक नया सिस्टम तैयार किया है। इसे इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट (IS4OM) कहा जा रहा है। भारत में तैयार हुआ IS4OM अंतरिक्ष विज्ञान में देश की मदद करेगा। अंतरिक्ष में तैर रहे सैटेलाइट्स की संख्या हजारों में है। पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे ये सैटेलाइट्स विभिन्न देशों की साइंस, मौसम, कृषि और आंतरिक सुरक्षा से संबंधी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इनमें 53 भारतीय सैटेलाइट्स हैं। इसके साथ ही हजारों की संख्या में ऐसे सैटेलाइट्स हैं, जो अब नष्ट हो चुके हैं और ऑर्बिट में तैर रहे हैं। इनके टकराने से मौजूदा सैटेलाइट्स नष्ट हो सकते हैं। यहीं पर काम आएगा IS4OM। यह अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाता है और उसकी निगरानी करता है। इस
सिस्टम की मदद से सैटेलाइट्स के मलबे को मौजूदा सैटेलाइट्स से टकराने से रोका जा सकेगा और उनकी सुरक्षा की जा सकेगी।
यह अंतरिक्ष में मलबे को ट्रैक करते हुए हमारे सैटेलाइट्स के साथ उनकी टक्कर की पहचान करेगा और स्थिति को खराब होने से बचाएगा। यह जो भी जानकारी उपलब्ध कराएगा वह सीधे बंगलूरू में ISRO के हेडक्वॉर्टर में पहुंचेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत अलग लैब्स भी सेटअप की गई हैं। IS4OM देश की अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।