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भारत की इंटरनेट इकोनॉमी 2030 तक बढ़कर 1 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने की संभावना

B2C ई-कॉमर्स बिजनेस पांच से छह गुना बढ़कर 35-38 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह पिछले वर्ष 60-65 अरब डॉलर का था

भारत की इंटरनेट इकोनॉमी 2030 तक बढ़कर 1 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने की संभावना

इसमें ई-कॉमर्स कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी होगी

ख़ास बातें
  • पिछले वर्ष देश की इंटरनेट इकोनॉमी 155-175 अरब डॉलर की रेंज में थी
  • देश में 5G सर्विसेज की शुरुआत से इंटरनेट से जुड़े बिजनेस को फायदा होगा
  • सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का बिजनेस तेजी से बढ़ सकता है
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पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़ने के साथ इससे जुड़े कारोबारों की संख्या भी बढ़ रही है। भारत की इंटरनेट इकोनॉमी के 2030 तक छह गुना बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर (लगभग 82,58,950 करोड़ रुपये) पर पहुंचने की संभावना है। इसमें ई-कॉमर्स कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी होगी। 

इंटरनेट सर्च इंजन Google, Temasek और Bain & Company की एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष देश की इंटरनेट इकोनॉमी 155-175 अरब डॉलर के बीच थी। इसकी ग्रोथ में B2C ई-कॉमर्स कंपनियों, B2B ई-कॉमर्स, सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर्स और ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म्स की अगुवाई में ऑनलाइन मीडिया का बड़ा योगदान होगा। गूगल के भारत में कंट्री मैनेजर और वाइस प्रेसिडेंट, Sanjay Gupta ने कहा, "देश की इंटरनेट इकोनॉम 2030 तक छह गुना बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने की संभावना है।" उनका कहना था कि आगामी वर्षों में अधिकतर खरीदारियां ऑनलाइन जरिए से होंगी। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप्स ने डिजिटल इनोवेशन को बढ़ाया है। बड़ी कंपनियों के साथ ही स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइसेज ने अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल शुरू किया है। 

रिपोर्ट के अनुसार,  B2C ई-कॉमर्स 2030 तक पांच से छह गुना बढ़कर 35-38 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह पिछले वर्ष 60-65 अरब डॉलर का था। B2B ई-कॉमर्स के लगभग 14 गुना बढ़कर 105-120 अरब डॉलर पर पहुंचने की संभावना है। यह सेगमेंट पिछले वर्ष आठ-नौ अरब डॉलर का था। सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर्स का बिजनेस पांच से छह गुना की बढ़ोतरी के साथ 65-75 अरब डॉलर तक हो सकता है। यह पिछले वर्ष 12-13 अरब डॉलर पर था। Temasek के मैनेजिंग डायरेक्टर, Vishesh Shrivastav ने कहा कि ग्लोबल GDP के लिए भारत एक अब एक नई उम्मीद है। 

पिछले वर्ष टेलीकॉम कंपनियों ने 5G सर्विसेज की शुरुआत की थी। इस हाई-स्पीड नेटवर्क से डेटा की स्पीड में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है। 4G की तुलना में 5G में बहुत कम लेटेंसी है जिससे विभिन्न सेक्टर्स में यूजर्स का एक्सपीरिएंस बेहतर होगा। कम लेटेंसी का मतलब डेटा मैसेज की अधिक वॉल्यूम को न्यूनतम देरी के साथ प्रोसेस करना होता हैइससे इंटरनेट से जुड़े कारोबारों को भी फायदा होगा। इन सर्विसेज से माइनिंग, टेलीमेडिसिन, वेयरहाउसिंग और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में रिमोट डेटा मॉनिटरिंग को बढ़ाया जा सकेगा। 


(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

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