सरकार इसके लिए उपाय कर रही है कि नि:शक्त (Differently-Abled) जन भी सरकारी वेबसाइट का आसानी से इस्तेमाल कर सकें और इस पहल के तहत उनके फीचर बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सामाजिक न्याय विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के कम से कम 6,000 वेबसाइट को रखा गया है, जिसमें से 50 प्रतिशत अगले साल जुलाई तक पूरी तरह से नि:शक्त जन के इस्तेमाल करने योग्य हो जाएंगे।
नि:शक्त जन के लिए इन वेबसाइट के फीचर को बढ़ाने के मद्देनजर केंद्र वेब ऑडिटर को शामिल करने की योजना बना रहा है।
‘केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ के तहत कार्यरत ‘विकलांग जन सशक्तिकरण विभाग’ (DOPWD) ने इस उद्देश्य के लिए सूचना तकनीक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाले स्वायत्त संगठन ‘ईआरएनईटी इंडिया’ को पत्र लिखा है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘करीब 6,000 सरकारी वेब पोर्टल हैं जिनका नि:शक्त जन इस्तेमाल करते हैं। ये वेबसाइट सभी नि:शक्त जन के लिए यह इस्तेमाल करने योग्य होना चाहिए। हमने ईआरएनईटी इंडिया से संपर्क किया है जो इसके फीचर बढ़ाने के उपाय और तरीकों का सुझाव देगी।’’
उदाहरण के तौर पर यदि दृष्टिहीनों को किसी वेबसाइट के इस्तेमाल में बाधा आती है तो उन्हें उनके लिए इस्तेमाल योग्य बनाने के लिए जरूरी उपकरणों से उन्नत किया जाएगा।
यह पहल ‘सुगम्य भारत अभियान’ के तहत की जा रही है।
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