• होम
  • इंटरनेट
  • ख़बरें
  • FASTag vs GNSS Toll : फास्‍टैग के बाद अब सैटेलाइट से कटेगा टोल, दोनों में क्‍या फर्क है? जानें

FASTag vs GNSS Toll : फास्‍टैग के बाद अब सैटेलाइट से कटेगा टोल, दोनों में क्‍या फर्क है? जानें

GNSS Toll की खूबी है कि यह वीकल की लोकेशन को ट्रैक करता है और तय की गई डिस्‍टेंस के हिसाब से टोल कैलकुलेट करने के लिए सैटेलाइट के साथ कम्‍युनिकेट करता है।

FASTag vs GNSS Toll : फास्‍टैग के बाद अब सैटेलाइट से कटेगा टोल, दोनों में क्‍या फर्क है? जानें

Photo Credit: metroinfrasys

ख़ास बातें
  • GNSS टोल सिस्‍टम को देश में लॉन्‍च करने की तैयारी
  • सैटेलाइट की मदद से कैलकुुलेट होगा टोल
  • कर्नाटक और हरियाणा के हाइवे से होगी शुरुआत
विज्ञापन
FASTag vs GNSS Toll : हाल के वर्षों में टोल टैक्‍स देने की प्रक्रिया हाइटेक हुई है। फास्‍टैग ने लोगों का काम आसान किया है। अब टोल नाकों पर छुट्टे के लिए किचकिच नहीं करनी पड़ती और समय पहले से कम लगता है। टोल देने की प्रक्रिया को और एडवांस बनाने की तैयारी कर रही है सरकार। परिवहन मंत्रालय देश के चुनिंदा नेशनल हाइवेज में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) बेस्‍ड टोल कलेक्‍शन शुरू करने जा रहा है। यह सिस्‍टम मौजूदा FASTag के साथ काम करेगा। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, GNSS सिस्‍टम को लागू करने के लिए कर्नाटक में NH-275 के बंगलूरू-मैसूर सेक्‍शन और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार सेक्‍शन पर पायलट स्‍टडी की गई है। 

नए सिस्‍टम का मकसद टोल कलेक्‍शन की एफ‍िशिएंसी को बढ़ाना और टोल नाकों पर लगने वाली भीड़ को खत्‍म करना है। याद रहे कि नया सिस्‍टम आने के बाद भी फास्‍टैग काम करता रहेगा। आइए जानते हैं दोनों सिस्‍टम कैसे एक-दूसरे से अलग हैं। 
 

FASTag और GNSS Toll में फर्क 

FASTag सिस्‍टम में गाड़‍ियों की विंडशील्‍ड पर एक स्‍टीकर लगाया जाता है, जोकि आरएफआईडी तकनीक से लैस होता है। लोगों को टोल नाकों पर कुछ देर के लिए रुकना पड़ता है। स्‍टीकर के स्‍कैन होने और जरूरी अमाउंट कटने के बाद बैरियर हट जाता है। FASTag की एक जरूरी शर्त है कि लोगों को आरएफआईडी स्‍टीकर में बैलेंस रखना होता है। 

GNSS Toll की खूबी है कि यह वीकल की लोकेशन को ट्रैक करता है और तय की गई डिस्‍टेंस के हिसाब से टोल कैलकुलेट करने के लिए सैटेलाइट के साथ कम्‍युनिकेट करता है। इस सिस्‍टम का मकसद फ‍िजिकल टोल बूथों को खत्‍म करना है, ताकि लोग बिना रुके अपना सफर कर पाएं। इस सिस्‍टम में प्रीपेड के साथ ही पोस्‍टपेड बिलिंग की तैयारी की जा रही है। 

फ‍िलहाल GNSS Toll को फास्‍टैग के समानांतर इस्‍तेमाल किया जाएगा। GNSS Toll सिस्‍टम भविष्‍य के लिए लाया जा रहा है।
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo X300, X300 Pro ग्लोबल मार्केट में हुए लॉन्च, 50MP कैमरा, Dimensity 9500 चिप से लैस, जानें कीमत
  2. Jio यूजर्स की बल्ले-बल्ले! 1.5 साल तक Free इस्तेमाल करें Google AI Pro, बस करना होगा इतना सा काम
  3. ISRO का मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट इस सप्ताह होगा लॉन्च
  4. Apple के नए MacBook और iPads में मिल सकती है OLED स्क्रीन
  5. iQOO Neo 11: गेमर्स के लिए आया मिड-रेंज फोन, इसमें है 7500mAh बैटरी और कूलिंग सिस्टम, जानें कीमत
  6. Huawei Mate X7 के लॉन्च की तैयारी, मिल सकता है 7.95 इंच फोल्डेबल डिस्प्ले 
  7. Smartphone Blast: हाथ में फट गया Samsung का ये नया फ्लैगशिप फोन! फिर उठे सेफ्टी पर सवाल
  8. बैंक के Wi-Fi का नाम अचानक हुआ 'Pak Zindabad', मच गया हड़कंप!
  9. इतना छोटा, लेकिन है पावरहाउस! Asus के नए Mini Gaming PC का कॉन्फिगरेशन जानकर रह जाओगे दंग
  10. BSNL को मिले Bharti Airtel से ज्यादा नए मोबाइल सब्सक्राइबर्स
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »