आने वाला जमाना इलेक्ट्रिक वीकल्स का है, ये तो हम जानते ही हैं, लेकिन अगर कोई कहे कि ये जमाना दो साल बाद ही आ रहा है तो? जी हां, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का एक बयान पढ़कर आपको भी यह महसूस होगा कि अगले दो साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का जमाना आने वाला है।
सस्टेनेबिलिटी फाउंडेशन, डेनमार्क की ओर से आयोजित एक वेबिनार के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अगले दो साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत पेट्रोल गाड़ियों जितनी होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत सरकार द्वारा दिए गए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। फ्यूल स्टेशनों और प्रमुख राजमार्गों पर ईवी चार्जिंग पोर्ट के इंस्टॉलेशन का भी इसमें प्रमुख योगदान होगा।
केंद्रीय मंत्री का यह स्टेटमेंट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिक्री के मामले में इलेक्ट्रिक वीकल्स को अभी तेजी दिखानी है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020-21 में इलेक्ट्रिक वीकल्स का देश के कुल वाहनों की बिक्री में सिर्फ 1.3 फीसदी योगदान था, लेकिन प्रोडक्शन में बढ़ोतरी और इलेक्ट्रिक गाडि़यों की लागत में कमी से ईवी की बिक्री में बढ़ोतरी होनी चाहिए।
भारत ने पहले से ही प्राइवेट कारों के मामले में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री, कमर्शल गाड़ियों के लिए 70 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री, बसों के लिए 40 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री और टू व थ्री वीलर वीकल्स के लिए 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री की योजना बनाई थी। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा है कि सरकार न केवल देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की पहुंच पर फोकस कर रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चार्जिंग स्टेशनों को रिन्यूएबल सोर्सेज से पावर मिले, ना कि कोयले से।
गडकरी ने कहा कि दो साल के अंदर इलेक्ट्रिक वीकल्स की लागत उस स्तर तक आ जाएगी, जो उनके पेट्रोल वैरिएंट के बराबर होगी। इलेक्ट्रिक वीकल्स पर जीएसटी पहले से ही सिर्फ 5 प्रतिशत है और लिथियम-आयन बैटरी की लागत भी घट रही है। सरकार ने पहले ही पेट्रोल पंपों में ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की अनुमति देने के लिए एक नीति तैयार की है। दो साल में पूरे भारत में बहुत सारे ईवी चार्जिंग पॉइंट होंगे। गडकरी ने आगे कहा कि कोयला आधारित बिजली के उत्पादन में अब कोई फायदा नहीं है और उनकी सरकार का पूरा फोकस अब सौर, ज्वार, पवन ऊर्जा और बायोमास जैसे रिन्यूएबल सोर्सेज पर है।
उनका यह भी मानना है कि घरों, मॉल और ऑफिसेज में सौर पैनल सिस्टम के जरिए ईवी चार्जिंग मिलने से इलेक्ट्रिक गाडि़यों को अधिक किफायती बनाया जा सकेगा। रिन्यूएबल एनर्जी कैपिसिटी के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है।