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देश में पहली बार ड्रोन से ‘ब्‍लड बैग’ की डिलिवरी, 15 मिनट में पूरा हुआ 35 KM का सफर, देखें वीडियो

ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) से नोएडा सेक्‍टर-62 में स्थित जेपी इंस्टिट्यूट तक की 35 किलोमीटर की दूरी ड्रोन ने 15 मिनट में पूरी की।

देश में पहली बार ड्रोन से ‘ब्‍लड बैग’ की डिलिवरी, 15 मिनट में पूरा हुआ 35 KM का सफर, देखें वीडियो

Photo Credit: Twitter Video Grab

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस ट्रायल का वीडियो भी शेयर किया है।

ख़ास बातें
  • 35 किलोमीटर की दूरी 15 मिनट में हुई पूरी
  • एंबुलेंस को यही काम करने में लग गया डेढ़ घंटा
  • आईसीएमआर की देखरेख में किया गया ट्रायल
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ड्रोन का इस्‍तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है। खासतौर पर प्रोडक्‍ट्स की डिलिवरी में ड्रोन कामयाब हो रहे हैं। आने वाले वक्‍त में इनके जरिए ब्‍लड बैग की डिलिवरी भी मुमकिन होगी, क्‍योंकि इससे जुड़ा ट्रायल सफल रहा है। ग्रेटर नोएडा के जिम्‍स हॉस्पिटल और दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से नोएडा सेक्टर-62 में जेपी इंस्टिट्यूट तक ‘ब्लड बैग' ले जाने के लिए एक ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। ट्रायल सफल रहा। यह पूरा ट्रायल ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की देखरेख में किया गया। 

बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) से नोएडा सेक्‍टर-62 में स्थित जेपी इंस्टिट्यूट तक की 35 किलोमीटर की दूरी ड्रोन ने 15 मिनट में पूरी की। इसी काम को एंबुलेंस से पूरा करने में एक घंटे से ज्‍यादा का समय लग गया। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस ट्रायल का वीडियो भी शेयर किया है। अपने ट्वीट में मनसुख मंडाविया ने लिखा कि भारतीय हेल्थकेयर को 'आई-ड्रोन' के साथ भविष्य के लिए तैयार कर रहा हूं। उन्‍होंने बताया कि ड्रोन के जरिए ब्लड बैग की डिलिवरी का ट्रायल रन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
 

खास बात यह भी रही कि ड्रोन के जरिए ब्‍लड बैग की डिलिवरी करने में ब्‍लड में कोई बदलाव नहीं आया। ड्रोन के कंपन और टेंपरेचर की वजह से ऐसा हो सकता था, लेकिन ब्‍लड बैग सुरक्षित और सही स्थिति में अपनी मंजिल तक पहुंच गया। इस काम में महज 15 मिनट लगे, जबकि इसी 35 किलोमीटर की दूरी को तय करने में एक एंबुलेंस ने डेढ़ घंटे का वक्‍त लगा दिया। 

करीब 15 दिनों से आईसीएमआर की देखरेख में यह ट्रायल किया जा रहा है। जेपी इंस्टिट्यूट की एक टीम भी इस काम में शामिल है। टीम में शामिल लोगों के लिए सबसे जरूरी यह पता करना था कि डिलिवरी के दौरान रक्‍त की गुणवत्ता पर तो कोई असर नहीं पड़ा। कहा जा रहा है कि इसके शुरुआती रिजल्‍ट अच्‍छे आए हैं। 
 

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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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