साइबरक्राइम की घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। डिजिटल होते इस देश में स्कैम्स की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही है। अब, उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहरों से साइबर फ्रॉड की शिकायत रिपोर्ट की गई है, जिसमें मेरठ में एक व्यक्ति से 1.84 करोड़ रुपये ठगे गए हैं और दूसरी ओर गाजियाबाद में एक व्यक्ति से 95 लाख रुपये ठगे गए हैं। दोनों घटनाएं साइबर ठगी से संबंधित हैं।
TOI ने PTI के हवाले से
जानकारी दी है कि मेरठ में एक व्यक्ति ने दावा किया है कि एक वेबसाइट ने उसे निवेश के बदले कई गुना फायदे देने के एवज में 1.84 करोड़ रुपये लूटे हैं। 40 वर्षिय योगेंद्र कुमार चौधरी ने कथित तौर पर एक ट्रेडिंग वेबसाइट पर 1.84 करोड़ रुपये निवेश किए थे। उनका कहना है कि उन्हें 'gicsingapore.com' वेबसाइट के बारे में पिछले साल जुलाई में पता चला था, जहां एक महिला ने उन्हें अपना नाम Annie बताया और उनसे फोन और WhatsApp पर संपर्क किया। महिला ने कथित तौर पर उन्हें वेबसाइट पर निवेश कर अच्छा रिटर्न हासिल करने का झांसा दिया।
रिपोर्ट आगे बताती है कि पेशे से रियर एस्टेट बिजनेस करने वाले चौधरी ने वेबसाइट पर निवेश करना शुरू किया और शुरुआत में उन्हें लाखों रुपये रिटर्न के रूप में मिले भी। यहां तक कि बताया गया है कि उन्हें शुरुआत में रिटर्न वेबसाइट पर लिंक किए गए उनके बैंक अकाउंट में ही मिला।
अच्छे रिटर्न की उम्मीद में चौधरी ने अपना निवेश जारी रखा और कुल 1.84 करोड़ रुपये निवेश किए। इस बड़े निवेश के बाद वह वेबसाइट से अपना पैसा निकालने में नाकामयाब रहे।
वहीं, रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे मामले में, गाजियाबाद में रहने वाले तरुण चौहान ने दावा किया है कि उन्हें पोलैंड की एक फर्म द्वारा 95.9 लाख रुपये का चूना लगाया गया है, जिसने उन्हें 2021 की अंतिम तिमाही में नौकरी की पेशकश के साथ संपर्क किया था।
इस कंपनी ने कथित तौर पर पिछले साल 28 और 29 दिसंबर को उनके साथ एक टेलीफोनिक इंटरव्यू भी किया था। इसके बाद उन्होंने चौहान से वीजा, वर्क परमिट, ट्रैवल इंश्योरेंस आदि के लिए फीस के बहाने फंड ट्रांसफर के लिए कहा। साइबर पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया कि चौहान का दावा है कि फर्म द्वारा भेजे गए विभिन्न इनवॉइस के खिलाफ उन्होंने 35 ट्रांजेक्शन में कुल 95.9 लाख रुपये का भुगतान किया था।
फर्म के अधिकारियों से जब संपर्क नहीं हो पाया, तो उन्होंने कथित तौर पर दिल्ली में पोलिश दूतावास से संपर्क किया, जहां अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि फर्म द्वारा दिए गए दस्तावेज नकली थे।
दोनों मामलों में FIR दर्ज होने के बाद जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। समाचार एजेंसी को बताया गया है कि मामलों में पुलिस को कुछ सबूत और लीड मिले हैं।