स्कूलों में स्मार्टफोन पर पूरी तरह बैन सही नहीं! कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन्स
स्कूलों में स्मार्टफोन पर पूरी तरह बैन सही नहीं! कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन्स
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छात्रों को स्कूल में स्मार्टफोन लाने से रोका नहीं जाना चाहिए, लेकिन इसके यूसेज को रेगुलेशन और मॉनिटरिंग में रखा जाना चाहिए।
Written by नितेश पपनोई,
अपडेटेड: 3 मार्च 2025 18:51 IST
Photo Credit: Unsplash/ Chivalry Creative
ख़ास बातें
एक छात्र की याचिका पर की गई थी सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को स्मार्टफोन के उपयोग पर स्पष्ट नियम बनाने चाहिए
कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी कथित तौर पर CBSE और कुछ अन्य जगहों पर भेजी
विज्ञापन
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्कूलों में छात्रों के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि यह सेफ्टी और कम्युनिकेशन के लिए जरूरी हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि तकनीक के बढ़ते उपयोग को देखते हुए स्मार्टफोन पर पूरी तरह बैन लगाना सही नहीं होगा। हालांकि, इसका अनुशासित और सीमित यूसेज जरूरी है। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक छात्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें स्कूल में स्मार्टफोन लाने की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को स्मार्टफोन के उपयोग पर स्पष्ट नियम बनाने चाहिए, जिससे छात्रों की सुरक्षा बनी रहे और अनावश्यक दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
बार एंड बेंच के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनुप जयराम भंभानी की बेंच ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक छात्र ने केंद्रीय विद्यालय में स्मार्टफोन उपयोग की अनुमति देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कोर्ट से स्कूलों में स्मार्टफोन यूसेज को लेकर दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छात्रों को स्कूल में स्मार्टफोन लाने से रोका नहीं जाना चाहिए, लेकिन इसके यूसेज को रेगुलेशन और मॉनिटरिंग में रखा जाना चाहिए। इसके लिए कोर्ट ने कुछ अहम गाइडलाइन्स भी जारी किए:
जहां संभव हो, स्कूलों को स्मार्टफोन रखने के लिए सुरक्षित व्यवस्था करनी चाहिए और छात्रों को स्कूल टाइम के दौरान अपने फोन जमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
कक्षा, स्कूल वाहन और कॉमन एरिया में स्मार्टफोन के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध होना चाहिए।
छात्रों को ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिक स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया के जरूरत से ज्यादा यूज से छात्रों को स्ट्रैस, फोकस में कमी और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
स्कूलों की पॉलिसी में सुरक्षा और समन्वय के लिए स्मार्टफोन उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन मनोरंजन और मनोरंजक एक्टिविटी के लिए इसका यूज प्रतिबंधित रहना चाहिए।
स्मार्टफोन यूसेज से संबंधित नियमों को तय करने में अभिभावकों, शिक्षकों और विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए।
प्रत्येक स्कूल को अपनी अनूठी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी पॉलिसी को लागू करने की छूट दी जानी चाहिए।
स्मार्टफोन के अनुचित उपयोग पर पारदर्शी और निष्पक्ष दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, जो कठोर न होकर तार्किक हो।
कोर्ट ने सुझाव दिया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में स्मार्टफोन जब्त करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है। साथ ही, स्मार्टफोन से संबंधित नियमों का समय-समय पर रिव्यू और रिवीजन होना जरूरी है, ताकि टेक्नोलॉजी संबंधित चुनौतियों का समाधान किया जा सके। कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी कथित तौर पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय और केंद्रीय विद्यालय संगठन को भेजने का भी निर्देश दिया।
नितेश पपनोईनितेश को ईमेल करें
Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी