ग्लोबल वॉर्मिंग का असर पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है जिसमें समुद्र किनारे बसे देशों पर सबसे ज्यादा गाज गिरने का अंदेशा जताया जा रहा है। अमेरिका ने इसे लेकर एक ताजा स्टडी भी की है जिसके बाद परिणाम काफी डराने वाले सामने आए हैं। स्टडी के अनुसार 2050 तक अमेरिका के कई समुद्री तटों वाले इलाके पाने में डूबने की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही समुद्र से सटे इलाकों पर तूफानों का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाने की बात कही गई है। आइए आपको बताते हैं कि यह स्टडी कैसे की गई है और अमेरिका के साथ ही अन्य देशों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक स्टडी की है। एजेंसी ने सैटेलाइट डेटा को खंगाल कर यह नतीजा निकाला है कि अमेरिका के समुद्र तट अगले 20-25 सालों में एक फीट तक डूब सकते हैं। इस अध्य्यन में ये भी सामने आया है कि कौन कौन से इलाकों में जलस्तर का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। इसमें गल्फ का किनारा, साउथ ईस्ट के तट और साउथ वेस्ट कुछ इलाकों का उल्लेख किया गया है। यानि कि सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस और वर्जीनिया जैसे क्षेत्र समुद्री पानी की बड़ी त्रासदी झेलने वाले हैं। स्टडी को नेचर डॉट कॉम में
प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका के समुद्री तट आने वाले 30 सालों में पानी-पानी हो जाएंगे।
नासा से पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन भी ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते समुद्रों का जल स्तर बढ़ने का खतरा पहले ही बता चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से 2021 के बीच समुद्र जल स्तर में हर साल 4.5mm की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। यह बढ़ोत्तरी 1993 और 2002 के बीच हुई बढ़ोत्तरी से दोगुनी थी। और अब जिस तरह से धरती का तापमान बढ़ रहा है, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 20-25 सालों में यह बढ़ोत्तरी तीन या चार गुना तक भी जा सकता है। ऐसे में नासा की इस स्टडी का परिणाम वैसा ही साबित होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है, जैसा कि बताया जा रहा है।
महासागरों के बढ़ते जल स्तर का सबसे बड़ा कारण आर्कटिक और अंटार्किटक में ग्लेशियरों का पिघलना कहा जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर काबू किया जाए। इसके लिए पेरिस समझौते पर तत्परता से अमल करना बहुत जरूरी हो जाता है जिसमें सभी देश मिलकर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो समुद्रों का जल स्तर विनाशक परिस्थिति तक बढ़ना तय है। ऐसे में तटीय इलाके और बड़़ी बड़ी नदियों के डेल्टा धरती पर से खत्म हो जाएंगे जिसके लिए मानव जाति को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में करोडों लोगों को अपने रहने के लिए दूसरी जगह देखने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
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