फ्यूचर ग्रुप में एमेजॉन के 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,510 करोड़ रुपये) निवेश मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कई महीनों से कर रहा है। इस मामले में विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप है। अब एमेजॉन इस केस में ED को कोर्ट में लेकर गई है। रॉयटर्स द्वारा देखी गई एक अदालती फाइलिंग से पता चला है कि कंपनी 2019 की अपनी डील्स में से एक मामले की जांच को रद्द करने की मांग कर रही है। लंबी कानूनी लड़ाई की वजह से यह निवेश सुर्खियों में है। एमेजॉन ने डील की शर्तों का इस्तेमाल करते हुए फ्यूचर ग्रुप पर कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। एमेजॉन अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी को फ्यूचर को खरीदने से रोकना चाहती है। फ्यूचर और उस कंपनी के बीच $3.4 बिलियन (लगभग 25,640 करोड़ रुपये) में बिक्री पर बात बनी है।
रॉयटर्स द्वारा देखी गई 816 पेजों की फाइलिंग में एमेजॉन ने इस जांच को ‘फिशिंग एंड रोविंग' जांच कहा है। एमेजॉन ने कहा है कि ED ने एमेजॉन से अन्य जानकारियां भी मांगीं, जो फ्यूचर ग्रुप सौदे से जुड़ी नहीं थीं।
एमेजॉन ने 21 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी फाइलिंग में कहा कि हाल के हफ्तों में ED ने एमेजॉन के इंडिया हेड समेत कई एमेजॉन एग्जीक्यूटिव्स को तलब किया था। एमेजॉन के मुताबिक, इस जांच ने उनका ‘अनावश्यक उत्पीड़न' किया।
एमेजॉन और ED ने जांच की डिटेल सार्वजनिक नहीं की है और इस मामले में मांगे गए कमेंट पर तुरंत कुछ नहीं कहा है। मामले की अगली सुनवाई आज होने की संभावना है।
यह फाइलिंग एमेजॉन और फ्यूचर के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद में एक नया ट्विस्ट है। हालांकि भारत की एंटीट्रस्ट बॉडी ने पिछले हफ्ते 2019 की इस डील को यह कहते हुए सस्पेंड कर दिया था कि एमेजॉन ने इसके लिए मंजूरी मांगते समय जानकारी छुपाई थी। ED की जांच इससे अलग है।
फ्यूचर और एमेजॉन के बीच साइन हुए तीन कमर्शल एग्रीमेंट्स इस विवाद के केंद्र में हैं। सिंगापुर मध्यस्थता पैनल भी इस विवाद की सुनवाई कर रहा है। हालांकि फ्यूचर ग्रुप इन कमर्शल एग्रीमेंट्स को भारतीय कानून से जोड़कर देखता है।
एमेजॉन की अदालती फाइलिंग में 19 फरवरी को ED से मिला एक नोटिस भी था। इसमें फ्यूचर में उसके निवेश की डिटेल जैसे- एग्रीमेंट्स की कॉपीज, बैंक अकाउंट डिटेल और अन्य इंटरनल कम्युनिकेशन मांगा गया था।
यह भी सामने आया है कि ED एक व्यापक जांच कर रहा है। उसने भारत में एमेजॉन की ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बड़े वेंडर्स की डिटेल भी मांगी थी।
यह नोटिस फरवरी में रॉयटर्स की उस जांच के बाद आया, जिसमें पाया गया कि एमेजॉन ने अपने भारतीय प्लेटफॉर्म पर बहुत कम सेलर्स को आगे बढ़ने में मदद की। तब एमेजॉन ने कहा था कि वह नियमों का पालन करती है और अपने मार्केटप्लेस में किसी भी सेलर को विशेष ट्रीटमेंट नहीं देती।