चीनी कंपनियों पर हर देश की नजर रहती है, खासतौर पर अमेरिका की। अमेरिका का बाइडन प्रशासन चीन की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा (Alibaba) के क्लाउड बिजनेस की समीक्षा कर रहा है। बाइडन प्रशासन का मकसद यह जानना है कि अलीबाबा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं है। रॉयटर्स के मुताबिक, मामले पर जानकारी देने वाले तीन लोगों ने बताया कि सरकार ने अमेरिकी फर्मों के साथ डील करने वाली चीनी टेक कंपनियों की जांच तेज कर दी है।
जांच का फोकस इस बात पर है कि कंपनी, पर्सनल इन्फर्मेशन समेत अमेरिकी कस्टमर्स के डेटा को कैसे स्टोर करती है। क्या चीन की सरकार तक वह पहुंच रहा है। जांच के बाद अमेरिकी रेगुलेटर्स अलीबाबा को यह निर्देश दे सकते हैं कि वह उसके क्लाउड बिजनेस से पैदा हुए जोखिमों को कम करने के उपाय करे। इसके अलावा, अमेरिका या अमेरिका से बाहर रह रहे नागरिकों को अलीबाबा की सर्विस इस्तेमाल करने से रोका जा सकता है।
बहरहाल, मंगलवार को मार्केट खुलने से पहले अलीबाबा के US मे लिस्टेड शेयर लगभग 3 फीसदी गिर गए। कंपनी के कारोबार में 1 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कॉमर्स डिपार्टमेंट भी अलीबाबा के क्लाउड बिजनेस को लेकर चिंतित था। हालांकि बाइडेन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद अलीबाबा के बिजनेस की समीक्षा का काम शुरू हुआ है।
रिसर्च फर्म Gartner के मुताबिक, अमेरिका में अलीबाबा का क्लाउड बिजनेस छोटा है। इसका सालाना रेवेन्यू 50 मिलियन डॉलर (करीब 375 करोड़ रुपये) से भी कम है। लेकिन अगर अमेरिकी रेगुलेटर उनके देश की कंपनियों और अलीबाबा क्लाउड के बीच ट्रांजैक्शंस को रोकने का फैसला लेते हैं, तो इससे कंपनी को नुकसान होगा। उसकी इमेज को भी झटका लगेगा, क्योंकि हर देश की कंपनी अमेरिकी कंपनियों के साथ बिजनेस करना चाहती है।
कॉमर्स डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने भी कमेंट के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। अलीबाबा ने भी कुछ नहीं कहा है, लेकिन कंपनी की सालाना रिपोर्ट में इसी तरह की चिंताओं पर बात की गई है।
अलीबाबा के क्लाउड बिजनेस की जांच कॉमर्स डिपार्टमेंट के छोटे से ऑफिस द्वारा की जा रही है। इसे इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी के रूप में जाना जाता है। इसका गठन ट्रंप प्रशासन ने किया था, जिसका मकसद चीन, रूस, क्यूबा, ईरान, उत्तर कोरिया और वेनेजुएला जैसे देशों से अमेरिकी कंपनियों के बीच होने वाले ट्रांजैक्शन की जांच करना है।