स्मार्टफोन्स, लोगों की शादीशुदा जिंदगी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे, एक स्टडी में यह जानकारी सामने आई है। स्मार्टफोन मेकर वीवो (Vivo) ने एक स्टडी में कहा है कि जब से स्मार्टफोन रोजाना की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बना है, इसके बेतहाशा इस्तेमाल से शादीशुदा लोगों के रिश्ते खराब हो रहे हैं। साइबर मीडिया की स्टडी ‘स्मार्टफोन और मानवीय संबंधों पर उनका असर 2022' (Smartphones and their impact on human relationships 2022)
में 67 फीसदी लोगों ने यह माना कि वो अपने लाइफ पार्टनर के साथ समय बिताने के दौरान भी फोन देखने में बिजी रहते हैं। लगभग 89 फीसदी ने कहा कि पार्टनर के साथ बातचीत में वह उन्हें कम टाइम दे पाए, जबकि ज्यादा टाइम दे सकते थे।
स्टडी में शामिल लोगों ने माना कि आमने-सामने की बात ज्यादा अच्छी होती है, लेकिन उनके पास कम टाइम होता है। स्टडी में शामिल 84 फीसदी लोगों ने कहा कि वो अपने पार्टनर के साथ ज्यादा टाइम गुजारना चाहते हैं। 88 फीसदी लोगों ने माना कि
स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल का असर उनके लाइफ पार्टनर के साथ रिश्ते पर हो रहा है। लोग स्मार्टफोन्स की वजह से सामने आ रही परेशानी को स्वीकार कर रहे हैं और बदलने के लिए तैयार हैं।
स्टडी कहती है कि स्मार्टफोन यूजर्स रोजाना औसतन 4.7 घंटे अपनी डिवाइस में बिताते हैं। पति-पत्नी दोनों ही इतना समय स्मार्टफोन पर बिता रहे हैं। 73 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके पार्टनर को यह शिकायत रहती है कि वह उनके साथ टाइम बिताने के बजाए अपने स्मार्टफोन में ही बिजी रहते हैं।
स्टडी कई पहलुओं पर भी रोशनी डालती है। मसलन- स्मार्टफोन पर टाइम बिता रहे 70 फीसदी लोग तब चिढ़ जाते हैं, जब फोन देखते समय उनका पार्टनर कुछ कहने की कोशिश करता है। 66 फीसदी लोगों ने यह महसूस किया कि स्मार्टफोन के बहुत ज्यादा इस्तेमाल के कारण पार्टनर के साथ उनका रिलेशन कमजोर हुआ है।
यह स्टडी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे में 1,000 लोगों पर की गई। इस बारे में वीवो इंडिया के सीनियर अधिकारी योगेंद्र श्रीरामुला ने कहा कि आजकल की लाइफ में स्मार्टफोन की अहमियत है, लेकिन यूजर्स को इसके बहुत ज्यादा इस्तेमाल को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
स्टडी बताती है कि 89 फीसदी लोगों के पास जैसे ही खाली समय होता है, वह स्मार्टफोन चलाना चाहते हैं। 88 फीसदी लोगों ने कहा कि वह अपना खाली टाइम फोन पर बिताते हैं, जो उनके व्यवहार का हिस्सा बन गया है।