पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसीज से मिले प्रॉफिट ने देश के बहुत से लोगों को डिजिटल एसेट्स में इनवेस्टमेंट करने का प्रोत्साहन दिया है। हालांकि, इस वर्ष के बजट में केंद्र सरकार ने क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स लगा दिया था। डिजिटल एसेट्स से मिलने वाले सभी प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत का टैक्स चुकाना होगा। इसके अलावा सरकार ने क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर 1 जुलाई से एक प्रतिशत का TDS लगाने की भी योजना बनाई है।
क्रिप्टो टैक्स और TDS के असर के बारे में जानने के लिए Orbital के होस्ट Akhil Arora ने क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX के वाइस प्रेसिडेंट Rajagopal Menon और क्रिप्टो टैक्स कंसल्टेंसी Catax के फाउंडर Gaurav Mehta से बातचीत की। कैपिटल गेन्स टैक्स की तरह 30 प्रतिशत का क्रिप्टो
टैक्स क्रिप्टो एसेट्स से मिलने वाले सभी प्रॉफिट पर लगेगा। यह 1 अप्रैल से लागू हो गया है। हालांकि, एक प्रतिशत का TDS सभी क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर लगाने की योजना है। सरकार का मानना है कि TDS लगने से क्रिप्टो से जुड़्री ट्रांजैक्शंस को ट्रैक करने और टैक्स की चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। इससे क्रिप्टो एक्सचेंज अपने प्लेटफॉर्म्स पर सेलर्स की ओर से टैक्स जमा करने के लिए जवाबदेह भी बन जाएंगे। क्रिप्टो एक्सचेंजों ने सरकार से TDS को लागू करने पर स्थिति स्पष्ट करने और इसकी दर को कम करने की मांग की है।
मेनन ने कहा, "एक प्रतिशत के TDS से ट्रेडिंग पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि लगभग 300 ट्रेड्स के बाद इससे आपकी कैपिटल का नुकसान होता है " इससे देश में पहले ही क्रिप्टो ट्रेडिंग की वॉल्यूम पर
प्रतिकूल असर पड़ना शुरू हो गया है। कुछ स्टेकहोल्डर्स क्रिप्टो एसेट्स से अपनी अर्निंग्स को बरकरार रखने के लिए विदेशी मार्केट्स पर विचार कर रहे हैं।
इस बारे में मेहता का कहना था, "इन सभी रेगुलेशंस से देश में क्रिप्टो को लेकर इकोसिस्टम कभी नहीं बन सकेगा।" इससे उभरते हुए क्रिप्टो सेगमेंट और इससे जुड़े नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) जैसे एरिया में इनोवेशन पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लोग पिछले कुछ वर्षों से अपनी ट्रांजैक्शंस पर टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे थे और इस वजह से सरकार को TDS का नियम लाना पड़ा है। एक्सचेंजों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे टैक्स के जरिए सरकार का रेवेन्यू बढ़ाने में मदद करें।