क्रिप्‍टोकरेंसी ने रूस को अंधेरे में धकेला! जानें क्‍या है मामला

लोकल प्रशासन ने इलाके में छापेमारी करके कथित तौर पर ‘ग्रे माइनिंग’ के 1100 मामलों का खुलासा किया है।

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राधिका पाराशर, अपडेटेड: 4 जनवरी 2022 12:48 IST
ख़ास बातें
  • पूर्वी रूस के इरकुत्स्क (Irkutsk) रीजन में पिछले कुछ समय से बिजली नहीं है
  • कहा जा रहा है कि इसकी वजह क्रिप्‍टो माइनिंग है
  • यहां क्रिप्‍टो माइनिंग के 1100 मामलों का खुलासा किया गया है

क्रिप्‍टोकरेंसी (cryptocurrency) बनाने में खर्च होने वाली बेतहाशा इलेक्ट्रिसिटी ने रूस के लोगों को मुश्किल में डाल दिया है।

Photo Credit: Unsplash/Sam Oxyak

क्रिप्‍टोकरेंसी (cryptocurrency) बनाने में खर्च होने वाली बेतहाशा इलेक्ट्रिसिटी ने रूस के लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। पूर्वी रूस के इरकुत्स्क (Irkutsk) रीजन में पिछले कुछ समय से बिजली नहीं है। कहा जा रहा है कि इसकी वजह क्रिप्‍टो माइनिंग है। इरकुत्स्क इलेक्ट्रिक ग्रिड कंपनी (IESC) के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस रीजन में बिजली की खपत 108 फीसदी बढ़ी है। लोकल प्रशासन ने इलाके में छापेमारी करके कथित तौर पर ‘ग्रे माइनिंग' के 1100 मामलों का खुलासा किया। ग्रे माइनिंग शब्‍द का इस्‍तेमाल क्रिप्टो माइनिंग के संदर्भ में किया जाता है। ध्‍यान रहे कि क्रिप्‍टो माइनिंग का मतलब क्रिप्‍टो मेकिंग से है, जिसमें बहुत ज्‍यादा बिजली खर्च होती है। ग्रे माइनिंग के तहत अपार्टमेंट के बेसमेंट, गैराज, रेजिडेंशियल एरिया के साथ-साथ बालकनियों में भी क्रिप्‍टोकरेंसी बनाने में इस्‍तेमाल होने वाले उपकरण लगाए जाते हैं। 

क्षेत्र में बिजली सप्‍लाई करने वाले Irkutskenergosbyt ने अपनी पोस्‍ट में बताया है कि इलाके में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग से जुड़े 21 संदिग्ध इलेक्ट्रिकल इन्‍स्‍टॉलेशन की पहचान की गई थी। यहां माइनिंग से जुड़े उपकरणों को  बालकनियों, रेजिडेंशियल एरिया और अपार्टमेंट के बेसमेंट में फ‍िट किया गया था। 

Bitcoin.com की रिपोर्ट के मुताबिक, इरकुत्स्क रीजन को ‘रूस की क्रिप्टो माइनिंग कैपिटल' कहा जाता है। रूस के इस रीजन में देश के बाकी हिस्सों से बिजली छह गुना सस्‍ती है। सब्सिडी के साथ मिलने वाली बिजली का इस्‍तेमाल यहां के लोग क्रिप्टो माइनिंग में करते हैं। हालांकि यह जानकारी नहीं है कि इलाके में क्रिप्‍टो माइनिंग को रोकने के लिए क्‍या कदम उठाए गए हैं। 

कैंब्रिज के रिसर्चर्स के अनुसार, बिटकॉइन माइनिंग में एक साल में लगभग 121.36 टेरावॉट-घंटे (TWh) पावर की खपत होती है। क्रिप्टो माइनिंग की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए भी गंभीर चिंता बना हुआ है। 

पिछले साल एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 1 जनवरी 2016 से 30 जून 2018 के बीच चार प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में लगभग 13 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज हुई। पिछले साल चीन ने भी देश में सभी क्रिप्टो-रिलेटेड गतिविधियों पर बैन लगा दिया था। इस पर टेस्ला प्रमुख एलन मस्क ने कहा था कि इस फैसले की एक वजह चीन में बिजली की कमी हो सकती है।   
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नवंबर 2021 में टेक्सास की इलेक्ट्रिक रिलायबिलिटी काउंसिल (ERCOT) ने अनुमान लगाया था कि क्रिप्टो माइनिंग और डेटा सेंटर्स की वजह से इलेक्ट्रिसिटी लोड पांच गुना तक बढ़ सकता है। 


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ये भी पढ़ेंभारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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