देश में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर रेगुलेटरी स्थिति स्पष्ट नहीं होने के बावजूद क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की संख्या बढ़ी है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) का कहना है कि महामारी के बाद भारतीय स्टॉक मार्केट और Bitcoin के रिटर्न के बीच जुड़ाव कई गुना बढ़ा है। यह एक बड़ा संकेत है कि क्रिप्टोकरेंसीज में रिस्क को कम करने की संभावना कम होती है।
एशिया में रिटेल और इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की क्रिप्टो मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ी है और इक्विटी मार्केट में भी इनमें से बहुत से इनवेस्टर्स शामिल हैं। यह इक्विटी मार्केट और क्रिप्टो के बीच जुड़ाव बढ़ने का एक बड़ा कारण है। IMF ने एक
ब्लॉग पोस्ट में कहा, "हमने पाया है कि क्रिप्टो और इक्विटी मार्केट में जुड़ाव भारत, वियतनाम और थाईलैंड में बढ़ा है।" यह पहली रिपोर्ट नहीं है जिसमें एशिया में क्रिप्टोकरेंसीज में इनवेस्ट करने वालों की संख्या बढ़ने की जानकारी दी गई है। हाल ही में एक्सेंचर ने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत, वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे एशियाई देशों में क्रिप्टो और अन्य डिजिटल एसेट्स में होल्डिंग्स पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ी हैं। रिपोर्ट में बताया गया था कि 10 लाख डॉलर तक रखने वाले लोग अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने के लिए क्रिप्टो में इनवेस्ट कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टो मार्केट में स्लोडाउन और कुछ अन्य कारणों से बिकवाली हो रही है। इससे
क्रिप्टोकरेंसीज के प्राइसेज घट गए हैं और इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान हुआ है। क्रिप्टो मार्केट में मंदी के कारण इस सेगमेंट की बहुत सी फर्में कॉस्ट घटाने के लिए अपनी वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं। बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक Coinbase ने अपनी वर्कफोर्स को 18 प्रतिशत घटाने का फैसला किया था। अमेरिका में हेडक्वार्टर रखने वाली इस फर्म का कहना है कि इंडस्ट्री के इस मुश्किल दौर में उसने कॉस्ट में कमी करने के लिए यह कदम उठाया है। इस फैसले से एक्सचेंज के 1,000 से अधिक एंप्लॉयीज की छंटनी होने का अनुमान है।
इससे पहले क्रिप्टो ट्रेडिंग और लेंडिंग प्लेटफॉर्म BlockFi ने लगभग 200 एंप्लॉयीज और क्रिप्टो एक्सचेंज Crypto.com ने लगभग 260 एंप्लॉयीज को हटाने की घोषणा की थी। इन दोनों फर्मों ने वर्कफोर्स घटाने के लिए समान कारण बताए हैं। मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने पिछले वर्ष नवंबर में 69,000 डॉलर का हाई छुआ था। इसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है।