मार्केट वैल्यू के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin ने सोमवार को 42,000 डॉलर का लेवल दोबारा पार कर लिया। इसका प्राइस लगभग 42,175 डॉलर पर ट्रेड कर रहा था। पिछले सप्ताह से बिटकॉइन की वैल्यू 2,254 डॉलर बढ़ी है। मार्केट एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगर मौजूदा तेजी बरकरार रहती है तो यह जल्द 45,000 डॉलर तक पहुंच सकता है।
दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी
Ether में लगभग 1.18 प्रतिशत की गिरावट थी। इसका प्राइस लगभग 2,259 डॉलर पर था। इसके अलावा Ripple, Cardano, Polygon, Litecoin, Stellar, Near Protocol और Cronos के प्राइसेज गिरे हैं। क्रिप्टो का मार्केट कैपिटलाइजेशन 0.83 प्रतिशत घटकर लगभग 1.62 लाख करोड़ डॉलर पर था।
क्रिप्टो फर्म CoinDCX की रिसर्च टीम ने Gadgets360 को बताया, "बिटकॉइन में तेजी का संकेत मिल रहा है। हालांकि, Ether में मंदी है। इसके लिए महत्वपूर्ण सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्रमशः 2,175 डॉलर और 2,388 डॉलर के हैं।" क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX के वाइस प्रेसिडेंट, Rajagopal Menon ने कहा, "पिछले एक दिन में ट्रेडिंग वॉल्यूम 31 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी से बुलिश सेंटीमेंट का संकेत मिल रहा है। बिटकॉइन की हिस्सेदारी दोबारा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है। मार्केट के जानकार दो लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन का पूर्वानुमान दे रहे हैं।"
पिछले वर्ष
बिटकॉइन के जरिए पेमेंट लेने वाले वेंडर्स और कारोबारियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, पिछले वर्ष बिटकॉइन के प्राइस में भारी गिरावट आई थी। इसके पीछे क्रिप्टो से जुड़ी बहुत सी फर्मों का दिवालिया होना बड़ा कारण था। पिछले वर्ष के अंत में बिटकॉइन का प्राइस 42,000 डॉलर से अधिक का था। पेमेंट के तौर पर बिटकॉइन को स्वीकार करने वाले कारोबारियों को ट्रैक करने वाले BTC Map से पता चलता है कि पिछले वर्ष के अंत में इन कारोबारियों की संख्या बढ़कर 6,126 पर पहुंच गई। इनमें रेस्टोरेंट, बार, दुकानें और सर्विसेज शामिल हैं। पिछले वर्ष की शुरुआत में इन कारोबारियों की संख्या 2,207 थी। BTC Map ऐसे रीजंस की पहचान करता है जहां प्रति दिन की ट्रांजैक्शंस के लिए खरीदार और मर्चेंट्स बिटकॉइन का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में ऐसे रीजंस की संख्या अधिक है। इटली में बिटकॉइन को पेमेंट के तौर पर स्वीकार करने वाले कारोबारियों की संख्या 1,000 से ज्यादा और दक्षिण अफ्रीका में लगभग 380 की थी। कई देशों में रेगुलेटरी चुनौतियां कम होने के साथ इन कारोंबारियों की संख्या में तेजी आ सकती है।