बिटकॉइन पर बढ़ा प्रेशर, प्राइस 60,000 डॉलर से नीचे

बैंकरप्ट हो चुके क्रिप्टो एक्सचेंज Mt Gox के लगभग दो अरब डॉलर की क्रिप्टोकरेंसीज मूव करने से क्रिप्टो मार्केट में गिरावट बढ़ सकती है

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Written by राधिका पाराशर, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 21 अगस्त 2024 18:58 IST
ख़ास बातें
  • बिटकॉइन का प्राइस 2.8 प्रतिशत घटकर लगभग 59,397 डॉलर पर था
  • Solana और XRP के प्राइस भी घटे हैं
  • कुछ देशों में इस सेगमेंट के लिए रूल्स बनाए जा रहे हैं

Ether का प्राइस लगभग 3.4 प्रतिशत घटकर लगभग 2,594 डॉलर पर था

मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin का प्राइस बुधवार को लगभग 2.8 प्रतिशत घटकर लगभग 59,397 डॉलर पर था। बैंकरप्ट हो चुके क्रिप्टो एक्सचेंज Mt Gox के लगभग दो अरब डॉलर की क्रिप्टोकरेंसीज मूव करने से क्रिप्टो मार्केट में गिरावट बढ़ सकती है। 

Mt Gox से जुड़े एक वॉलेट ने लगभग दो अरब डॉलर के बिटकॉइन को मूव किया है। यह एक्सचेंज लगभग 10 वर्ष पहले चुराए गए टोकन्स को वापस कर रहा है। इससे बिटकॉइन के प्राइस में बड़ी गिरावट हुई है। क्रिप्टो मार्केट में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाले इस टोकन की सप्लाई बढ़ने से इसके प्राइस में भारी गिरावट हो सकती है। इस वर्ष की शुरुआत में Mt Gox को लगभग नौ अरब डॉलर की क्रिप्टोकरेंसीज को मूव करते  देखा गया था। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether का प्राइस लगभग 3.4 प्रतिशत घटकर लगभग 2,594 डॉलर पर था। इसके अलावा Solana और XRP के प्राइस भी घटे हैं। 

मौजूदा वर्ष की पहली छमाही में इंटरनेशनल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट का कैपिटलाइजेशन लगभग 44 प्रतिशत बढ़कर 720 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस वर्ष की शुरुआत में बिटकॉइन ETFs के लॉन्च से इस सेगमेंट की ग्रोथ तेजी से बढ़ी है। क्रिप्टो एक्सचेंज Binance की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से जून के बीच बिटकॉइन ने ग्रोथ दर्ज की है। इसके पीछे बिटकॉइन ETF की शुरुआत होना और इसके नेटवर्क की चौथी हाविंग प्रमुख कारण हैं। अमेरिका में बिटकॉइन ETFs में  17 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट किया गया है। इन ETFs में प्रति दिन की औसत ट्रेडिंग लगभग 2.3 अरब डॉलर की है। 

Ether की वैल्यू में भी बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष बिटकॉइन ने लगभग तीन वर्षों के बाद अपना नया हाई लेवल बनाया था। इसका प्राइस मार्च में 73,737 डॉलर से अधिक पर पहुंचा था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से इसमें गिरावट है। इसमें गिरावट के पीछे कुछ देशों के बीच तनाव और रेगुलेटरी चुनौतियां बड़े कारण हैं। हालांकि, केंद्र सरकार की इस सेगमेंट को रेगुलेट करने की कोई योजना नहीं है। यूरोपियन यूनियन ( EU) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने क्रिप्टो सेगमेंट के लिए रूल्स बनाए हैं। हाल ही में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्यमंत्री Pankaj Chaudhary ने बताया था कि वर्चुअल एसेट्स की खरीद और बिक्री को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने का प्रपोजल नहीं है। 
 
 

ये भी पढ़ेंभारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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