TikTok के दुनिया भर में लाखों यूज़र्स हैं, जो किसी भी टॉपिक को लेकर और कभी-कभी बिना किसी टॉपिक के ही शॉर्ट वीडियो बनाते और साझा करते हैं। जहां एक ओर यह ऐप ग्लोबल स्तर पर ऐप स्टोर पर ट्रॉप ऐप्स की लिस्ट में अपनी जगह बना रही है, वहीं, दूसरी ओर कंपनी "असामान्य आकार के शरीर" या "बदसूरत दिखने वाले" यूज़र्स को रोकने के लिए अपने मॉडरेटर्स को आदेश दे रही है। इतना ही नहीं, कंपनी की ओर से जारी गाइडलाइनों में मॉडरेटर्स को "बीयर बैली" यानी मोटे पेट वाले लोगों की वीडियो को भी ऐप से हटाने को कहा गया है। टिक टॉक को पहले भी कई बार कंटेंट को रोकने के आरोपों का सामना करना पड़ा चुका है, विशेष रूप से विकलांग यूज़र्स के पोस्ट। टिक टॉक ऐप का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी ByteDance कई लोकप्रिय वेबसाइट और सोशल ऐप चलाती है।
Intercept की एक रिपोर्ट में आंतरिक सूत्र का हवाला देते हुए यह जानकारी मिली है कि टिक टॉक ने अपने मॉडरेटर्स को गाइडलाइन्स दी है कि बदसूरत दिखने वाले या तोंद वाले लोगों की वीडियो को ऐप में ना डाला जाए। यहां तक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कंपनी की पॉलिसी गरीब लोगों या झुग्गियों में रहने वाले लोगों के वीडियो को भी रोकती है।
रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया है कि भेदभाव से भरी इस Tik Tok गाइडलाइन का केवल कुछ हिस्सा ही लीक हुआ है। इस पॉलिसी में ना केवल गरीब, बदसूरत या असामान्य शरीर वाले यूज़र्स की वीडियो को रोकने की गाइडलाइन थी, बल्कि दिव्यांग और LGBT के पोस्ट को भी रोकने की गाइडलाइन शामिल थी।
टिक टॉक की गाइडलाइन कहती है कि गरीब दिखने वाले लोगों के वीडियो को प्लेटफॉर्म से बैन कर दिया जाए। लीक हुए इस टिक टॉक गाइडलाइन में घर की टूटी हुई दिवारों या पुराने दिखने वाले घर में बनाए गए वीडियो को भी हटाए जाने की बात है।
इसपर टिक टॉक ने बयान भी दिया है। टिक टॉक के एक प्रवक्ता ने The Intercept को बताया है कि कंपनी ने इस पॉलिसी को यूज़र्स को केवल बुलिंग से बचाने के लिए बनाया था। यह भी कहा गया है कि इस तरह की पॉलिसी एक समय में कंपनी के पास थी, लेकिन इसे अब इस्तेमाल नहीं किया जाता है।